Monday, October 26, 2015

Round 2 - Team # 19 (Dheeraj & Anurag) #ftc1516


गांधी ने कहा ये सुभाष से।
क्या बैर है तुम्हें स्वराज से।
क्यों करते हो तुम व्यर्थ विरोध।
क्यों लगा रहे हो स्वतंत्रता में अवरोध।
अगर हम नहीं करेंगे उनका सहयोग।
फिर आजादी का कैसे बनेगा संयोग।
वे हमारे भाग्य विधाता हैं।
उनसे ही अंतिम आशा है।
सुन कर वचन गांधी के ठोस।
गंभीर भाव में बोले तब बोस।
बापू आप हो भोले बड़े।
नहीं समझ रहे इनके पैंतरे।
नहीं मंशा इनकी देना स्वराज।
देंगे धोखा जब पूरा होगा काज।
अगर पाना है सच में स्वराज।
तो करो साहस कर दो आगाज।
आजाद हिंद है अगर सपना तो लहू तो बहाना होगा।
फूंक कर क्रांति का बिगुल सोये जन मानस को जगाना होगा।

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Rating - 118/200

Is rating par mat jaaiye, ye entry, art-kavita mujhe apne bachpan mey le gayi. CBSE aur regional boards ki kitaabo mey jaisi kavitayen hoti hai waisi rachna thi. Par phir wahi baat ki vishay, pratibha anusaar itna kuch tha karne ko. Vistrit baat ko jaldi niptana laga. To yahan ye adhoorapan akhra.

Total Points after 2 Rounds - 252/400

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