"मेरी बूढ़ी आँखें धोखा नहीं खा सकतीं! यह काला पानी और हवा में फैलता कोहरा मैं पहले भी देख चुका हूँ. ध्यान से सुनो, यह सनाटा मौत के तूफ़ान की चेतावनी है क्यूँकि यह जहाज़ अपनी कब्र की तरफ बढ़ रहा है."
नोवा नामक इस जहाज़ में सफर कर रहे सभी यात्री यह बात सुन कर और घबरा गये और अपने हाथों व पैरों में बंधी ज़ंजीरों को हिला कर शोर मचाने लगे. नोवा एक स्लेव शिप थी जो पुर्तगाल से खरीदे हुये गुलामों को अमेरिका छोड़ने जा रही थी. नोवा को यह यात्रा ५० दिनों में पूरी करनी थी पर आज सफर का ६८वां दिन था. यह सफर नोवा के लिए काफी घातक साबित हो रहा था, ३०० गुलामों में से सिर्फ २० ही ज़िंदा बचे थे, बाकी के गुलाम समुंद्र की जानलेवा बीमारीयों का शिकार गये थे. नोवा के क्रू की भी यही हालत थी और शिप के कैप्टेन सोलोमन के लिये मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं.
नोवा के डेक पर बने मास्टहेड पर चढ़ा हुया जोनस समुन्द्र के हर ख़तरे की खबर देने के लिए तैनात था. अचानक उसने ख़तरे की घंटी बजा दी और उसकी चीखों ने पूरे डेक को भर दिया।
जोनस - "कैप्टेन, कैप्टेन! जल्दी बाहर आइए."
सोलोमन दौड़ते हुये अपने अध्यन कक्ष से बाहर निकले।
जोनस - "अनहोनी हो गयी है कैप्टेन! ना जाने कहाँ से इस धुंध ने वातावरण को ढक लिया है. शिप को वापस मोड़ लीजिये!"
डेक पर मौजूद रेमी जोकि नोवा का सेकंड इन कमांड था, जोनस की बात सुन कर चिल्ला उठा.
रेमी - "पागलों जैसी बातें मत करो. पोर्टो रिको पोर्ट से हमें बताया गया था कि मौसम साफ रहेगा. ये कोहरा मॉनसूनी बादलों के कारण हुया होगा और जल्दी ही हट जायेगा। वैसे भी पोर्टो रिको वालों ने नोवा की सूचना अगले पोर्ट तक पहुँचा दी होगी, हमें बढ़ते जाना चाहिए।"
वहाँ उपस्थित डॉक्टर आल्टर ने रेमी के सुझाव में सहमती जतायी। बीमारी से जूझ रहे डॉक्टर ने अपने पीले पड़ रहे शरीर को रैलिंग के सहारे खड़ा कर रखा था.
डॉक्टर आल्टर - "नोवा के ६० सेलर क्रू में अब सिर्फ हम ४ ही शेष बचे हैं. कैप्टेन शिप को अगले पोर्ट की तरफ ले जायो, हमारा खाने की समाग्री लगभग सम्पात है और पानी का भी सिर्फ एक कनस्तर बाकी है. यहाँ मरने से तो अच्छा है कि पोर्ट की तरफ जाने का रिस्क उठा लें.
कैप्टेन सोलोमन - "कैसी दुविधा है! पानी की इस विशाल नगरी में पीने के लिये एक बूंद नहीं। जोनस एंकर लगा दो. मैं अपने बाकी के क्रू को मौत के मुँह में नहीं धकेल सकता।"
रेमी और आल्टर के लाख समझाने के बावजूद सोलोमन नहीं माने और नोवा वहीं रोक दी गयी. अगली सुबह जैसे ही रेमी निरक्षण करने डेक पर पहुँचा तो वो भयानक मंजर देख उसके पैर जड़ हो गए, आँखे फटी गयीं, रेमी की नेत्र एक ही दृश्य दिर्शा रहे थे और वो था मास्टहेड पर बंधा एक फंदा जिस में जोनस की लाश लटक रही थी. रेमी ने डॉक्टर आल्टर को आवाज़ लगायी लेकिन डॉक्टर की जगह कैप्टेन सोलोमन आये.
कैप्टेन सोलोमन - "आल्टर की तबियत काफी गंभीर है. और जोनस को ऐसे देख शायद वो यही दम तोड़ देगा। तुम इस लाश को उतारो और इसे उठा कर गुलामों के चैम्बर में फेंक आयो."
रेमी - "जोनस हमारा साथी था कैप्टेन, उसके लिए एक कफ़न चाहिए। वो एक आज़ाद आदमी था, कोई स्लेव नहीं। उसे सम्मानता से दफनायेंगे।
रेमी की बात सुन सोलोमन की आँखों में खून उतर आया और अपनी कमर पर बंधी तलवार निकाल रेमी की गर्दन पर रख दी.
कैप्टेन सोलोमन - "अपने चारों और फैले इस नीले समुंद्री कफ़न को देखो! एक ही पल में तुम्हारा गर्दन कटा शरीर किसी शार्क के मुंह का निवाला बन रहा होगा, जोनस मर चुका है. अगर तुम अपने जिस्म के लोथड़े नहीं देखना चाहते तो इस लाश को स्लेव कम्पार्टमेंट में दफना आयो."
रेमी कैप्टेन के दरिन्दगी से भरे व्यवहार को देख काफी सहम गया था. जोनस की लाश को कंधे पर उठाये वो स्लेव कम्पार्टमेंट में घुसा और ज़मीन पर बिछी गुलामों की लाशों की कालीन पर कदम रखता हुया उस पिंजरे के सामने आ खड़ा हुया जहाँ बाकी के ज़िंदा गुलाम कैद थे. सभी गुलामों की नज़र रेमी के चेहरे पर थी, वहाँ बिखरी हुयी मुर्दा लाशों पर मक्खियाँ भिन भिना रहीं थीं, दुर्गन्ध से परेशान रेमी ने अपनी नाक ढक रखी थी. जैसे ही उसने जोनस की लाश को नीचे रखा, एक वृद्ध की आवाज़ ने खामोश वातावरण को भंग किया।
वृद्ध गुलाम - "साँस ले लो सर. यहाँ पर हवा मुफ्त है लेकिन ऊपर डेक पर यह कोहरा तुम्हारे फेफड़ों से हवा का हर एक कण निकलने के लिए बेकाबू हो रहा है."
रेमी - "क्या बकवास कर रहे हो? एक शब्द और बका तो अभी अपने खंजर को तुम्हारा गंदा खून चखा दूंगा!"
वृद्ध गुलाम - "इस पानी को ध्यान से देखो! हम बरमूडा ट्रायंगल में हैं. यहाँ पर तुम भी एक गुलाम हो. बरमूडा तुम्हे यहाँ से लौटने नहीं देगा। अगर किसी को मारना ही है तो कैप्टेन को मर गिरायो वरना बरमूडा का पानी नोवा के साथ हम सबको निगल जाएगा!"
रेमी के कुछ बोलने से पहले ही डॉक्टर आल्टर की एक दर्दनाक चीख गूंजी और रेमी दौड़ कर डेक पर पहुँचा। लहूलुहान आल्टर नीचे गिरा कराह रहा था और सोलोमन पानी के कनस्तर को शिप के बाहर उड़ेल रहा था.
डॉक्टर आल्टर - "रेमी, इसे रोको! यह हमारे पानी का आखिरी कनस्तर है."
रेमी - "रुको! रुको! रुको जायो।"
कैप्टेन सोलोमन - "जल समाधि लेने का वक्त आ गया है रेमी। आल्टर का शरीर पहले ही स्कर्वी ने खोखला कर दिया था, मैंने तो बस उसकी मदद की है, उसके बेजान शरीर में थोड़े से छेद कर के इस पीड़ित खून को आज़ादी देने में."
कैप्टेन सोलोमन ने अपने हाथ में थमी पिस्टल रेमी की तरफ घुमायी और फायर कर दिया। रेमी की जांघ को चीरती हुयी खून सनी गोली नोवा के पास फैले कोहरे में गुम हो गयी और रेमी भी आल्टर की भांति दर्द से छटपटाता नीचे गिर गया. रेमी ने आल्टर की तरफ देखा जो अपनी अंतिम साँसे गिन रहा था और दूसरी नज़र कैप्टेन पर डाली जो हैवानों जैसी हरकतें कर रहा था. कैप्टेन ने नोवा के चारों और तेल बिखेर कर उस में आग लगा दी. पिंजरे में बंद वो गुलाम वृद्ध आग की लपटों को बढ़ता देख रहे थे.
वृद्ध गुलाम - "बरमूडा का यह पानी हमेशा लहू के लिए प्यासा रहता है. जीज़स हम सबको परलोक में एक आज़ाद ज़िंदगी दे देना।"
नोवा पर लगी आग का बढ़ता धुयाँ कोहरे में समा गया और देखते ही देखते नोवा राख हो गया.
=========================
Rating - 138/200
Word limit penalty - Minus 4
Final Rating - 134/200 Points
Ye prayog achchha tha par kuch plain laga, dialogues-narration ne prabhavit kiya khaaskar aapka contradictory emotions ko saath mey pirona. Ship ka sketch sundar hai.
Total points after 2 Rounds - 288/400
Judge - Mohit Trendster
Word limit penalty - Minus 4
Final Rating - 134/200 Points
Ye prayog achchha tha par kuch plain laga, dialogues-narration ne prabhavit kiya khaaskar aapka contradictory emotions ko saath mey pirona. Ship ka sketch sundar hai.
Total points after 2 Rounds - 288/400
Judge - Mohit Trendster
No comments:
Post a Comment