प्यासे कौवे
गर्मियो का मौसम था,,, सूरज आग उगल रहा था.. रही सही कसर सूखे ने पूरी कर रखी थी..
दूर दूर तक पानी का निशान नही.. एक पुराने कट्टरवाद कौआ धर्म के अनुयायी कौवे का प्यास से बुरा हाल था,,, यहा वहा उडता फिर रहा था,,,,तभी उसे एक जगह तीन भिन्न आकार के घडे रक्खे दिखाई दिये.... उनके पास पहुचा तो पाया कि पानी सब मे है.... लेकिन बहुत कम मात्रा मे... अंदर जा के पीना भी संभव न था और चोच से पानी तक पहुचा नही जा सकता था,
तभी उसे अपने पूर्वज पैगम्बर/महात्मा कौवे 'बोहनी सांणे' की कहानी याद आई जो जो उनके धार्मिक काग-ग्रंथ मे लिखी थी,,,कहानी यु थी एक ऐसे ही गर्म सूखे मौसम मे पैगम्बर/महात्मा को भी प्यास लगी व ऐसे ही घडे मिले थे,,,,समस्या भी यही थी,,,, तो उन्होने कागदेव से प्राथना की और उनपे आसमानी समझ आई,,,, उनहे पास पडे कंकडो से घडा भर दिया व जब जल उपर आ गया तो प्यास बुझाई,,
इस कट्टर कौवे को अपने इस धार्मिक कहानी पे पूरा भरोसा था,,,उसने भी कंकर व छोटे पत्थरो से सबसे फैले घडे को भरना शुरु किया....लेकिन गर्मी बहुत ही ज्यादा थी,,,पत्थर सूखे थे,,,,वे जल मे जाते गये व अपने पोरो मे कुछ जल सोखते रहे,,,,,इस तरह आधे तक ही मे सारा जल पत्थरो मे सूख गया... इस समय तक कौवे बहुत हताश हुआ,,,कि पूर्वजो की कथा ऐन मौके पे दगा दे गयी,,,क्रोध मे आ के वो बडे घडे मे घुसने की कोशिश करने लगा लेकिन मुह मे फस गया,,,, इससे पहले पत्थरो को डालने की मेहनत व अब घडे के मुह मे फसे होने की घुटन , उसकी हालत पतली होने लगी....पानी सामने लेकिन पहुच नही सकता था....निराशा व घुटन से वो छटपटाने लगा...आखिर किसी तरह बाहर आया ,,,लेकिन अब हिम्मत व सांस दोनो नही बची थी,,,वही गिर के बिखरी, टूटी सांसे लेने लगा...
तभी एक और प्यासा कौवा वहा आया,,,ये कट्टर नही ,, नई रोशनी का था,,,धर्म मे पक्का,, किताब पे भरोसा रखने वाला लेकिन उसकी हर बात को आंख नाक बुद्धी बंद कर के मान लेने वाला नही... उसने सभी घडो का निरक्षण किया...व कट्टर कौवे की हालत देख माजरा समझ गया,..
वो अब छोटे पुराने घडे के पास आया,,,,उसके तल के पास की जमीन को पंजो व चोच से खोद के एक छोटा गड्ढा बनाया व फिर चोच से उसके उपर के घडे के हिस्से पे प्रहार करने लगा....थोडी समय की मेहनत के बाद उस जगह की मिट्टी टूट गयी व वहा एक छोटा सुराग हो गया, जिससे पानी की पतली घार उस गड्ढे मे जाने लगी व वहा पानी भरने लगा..ये देख कट्टर कौवे मरती खुली आंखे और खुल गयी,,
..उस कौवे ने उस जल से अपनी प्यास बुझाई और फिर थोडा पानी चोच मे ले के कट्टर कौवे के पास तक गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी ,,खुली चोच व अविश्वस्नीय्ता से भरी आंखो के साथ ही वो दम तोड चुका था,,,,, प्यासे मरते को शायद अब जन्नत मे मिलने वाले मीठे शरबत से भी विश्वास उठ गया था,,,,
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Pyaase Kowe by Neel Eeshu and Piyush Kumar
Rating - 130/200 Points
(Deadline Penalty - 2 Days: 8 Points)
Final Rating - 122/200
Judge - Mr. Mayank Sharma
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