Double Knockout
बांधव जाने वाली सड़क पर आज काफी भीड़ एकत्रित हुयी पड़ी थी. गाँव के सभी युवक, बुज़ुर्ग और स्त्री वर्ग बाहर फैले खेतों के पास इख्ठा हुये आपस में बातें कर रहे थे, सबकी नज़र खेत में ध्वस्त पड़ी पुलिस जीप के उपर टिकी हुयी थीं. "उस पुलिस अफसरनी ने तीन घुसपैठिये मार गिराये पर ना जाने क्या आफत आ गयी की वो खुद भी काल की बलि चढ़ गयी", तम्बाकू का पैकेट हाथ में थामे एक युवक ने बोला। बुज़ुर्गों के झुंड में से सिगरेट का कश लगा रहे एक वृद्ध ने बोला, "जो हवलदार मारा गया वो पास के मोरेना गाँव का था, यह हादसा उसकी बगावत का नतीजा है."
दूर पगडंडी पर एक राहगीर चलते हुये उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुँचा जहाँ सब बूढ़े - बुज़ुर्ग जमा थे. अपने पिठू बैग को नीचे रख वो बोल उठा.
"क्या बात है चचा. इम्पोर्टेड सिगरेट,लगता है हुक्के का टेस्ट फीका पड़ गया."
वृद्ध - "अरे यह तो वो शहरी बाबू दे गये थे जो एम्बुलेंस के साथ यहाँ तफ्तीश के लिए आये थे. जो मारे गये उनके लिए खेत में एक पीली टेप लगा गये और हमें ये पीछे से आधी पीली डंडी पकड़ा गये ताकि हम भी कर्क रोग के साथ खाँस - खाँस कर मरें। तुम कौन हो बेटा? पहले तो कभी नहीं देखा तुम्हे!"
उस नौजवान के ऊतर से पूर्व ही हवा में धूल उड़ाता एक तांगा वहाँ आ रुका और उसके चालक ने ताशी नामक उस लड़के का बैग तांगे में लादा और उसे बैठा कर मोरेना गाँव की तरफ तांगा बढ़ा दिया।तांगे का चालक ताशी का मामा रोमी था. मोरेना उस ज़िले का एकमात्र गाँव था जो आबादी से काफी दूरी पर स्थित था. जैसे ही ताशी ने गाँव में प्रवेष किया, उसका ध्यान मोरेना के कच्चे - पक्के मकानों को चीरता हुया उस भव्य हवेली की तरफ गया जो उसकी मंज़िल थी. सेठ टोरा मल की वो हवेली एक काले राक्षस जैसे खड़ी हुयी थी. तभी वातावरण में फैला सन्नाटा ढोल की आवाज़ ने भंग किया, रोमी और ताशी से कुछ ही दूरी पर एक अघोरी जिसका शरीर काले रंग से पुता हुया था ढोल को पिटता चला जा रहा था, उसके पीछे दुल्हा - दुल्हन की जोड़ी चेहरे पर मायूसी लिए बढ़ रहे थे, उनके ठीक पीछे काली साड़ियों से लदी औरतें एक लहूलुहान आदमी को घसीटते ले जा रहीं थीं, और अंत में ४ पुरुष "राम नाम सत है" का नारे लगाते चल रहे थे. सबकी मंज़िल एक ही थी, टोरामल की हवेली।
रोमी - "बहुत शुभ टाइम पर आये हो ताशी। आज रक्ष दिवस है. आज के दिन तुम भी अपने अंदर के शैतान को आज़ाद कर दो. काला जादू, टोना, टोटका मोरेना का अटूट हिस्सा बन चुके हैं. सेठ के पूर्वजों ने इस गाँव को सिखाया है कि मृत्यु को स्वीकार ही मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसीलिए प्रत्येक रक्ष दिवस एक पुरुष की बलि दी जाती है. टोरामल के मुताबिक बुरी नज़र से बचने के लिए ये बलिदान आवश्यक है."
हवेली के बाहर एक तरफ मंडप सजा हुया था और दूसरी ओर खुद टोरामल खड़ग थामे एक भव्य शैतानी मूर्ति के सामने इंतज़ार कर रहे थे. ढोल की आवाज़ दूर तक गूंज रही थी. उस आदमी को लाकर टोरामल के सामने फेंक दिया गया.
टोरामल - "ख़ुशी मनायो जगतदास, तुम्हारे बेटे की शादी है, उसके लिए तोहफा तो बनता है. तुम घातक को अपना रख्त दे कर संसार के सभी दुःखों से मुक्ति पा लोगे."
टोरामल का खड़ग उठा लेकिन जगतदास हौंसला जुटा कर दौड़ने लगा, वो कुछ कदम ही दौड़ पाया था तभी लड़खड़ा कर गिर पड़ा. नरभक्षी जानवर के भांति अघोरी अपने शिकार पर झपटने के लिए तैयार था लेकिन टोरामल के इशारे ने उसे रोक दिया और उनका १२ साल का नाती शौर्य जो घातक की मूर्ति के साथ खड़ा था, जगतदास के समक्ष पहुँचा और उसके नन्हे हाथ जगतदास की गर्दन को कसने लगे, दुसरे ही क्षण असामनीय शक्ति का प्रदर्शन करते हुये शौर्य ने जगतदास का सर उखाड़ दिया, ख़ून के फ्वाहारे ने ज़मीन को लाल रंग से पोत दिया जिसमें जगतदास के माँस के लोथड़े भी शामिल थे. तभी ताशी के बैग में रखे वॉकी - टॉकी से एक मैसेज गूंजा।
"ताशी कम इन. हवेली में बारूद लगाया के नहीं!"
सबकी नज़रें ताशी की तरफ घूम चुकी थीं. ताशी के चेहरे का रंग उड़ गया, डगमगा रहीं लातों में थोड़ी सी जान डाल कर वो सरपट दौड़ पड़ा.
टोरामल - "भाग कर कहाँ जायोगे घुसपैठिए। घातक के इस क्षेत्र में तुम्हें पाताल भी छिपने की जगह नहीं देगा। अघोरी, रात होने में १ घंटा बाकी है, इस सपोले को ढूंढ कर ला. पूर्णमासी की ये रात हम इसके ख़ून से स्नान करेंगे।"
रात के अँधेरे ने मोरेना को गटक लिया। सबकी नज़र बचा कर ताशी छुपते - छुपते वापिस हवेली की तरफ अपना रास्ता बना रहा था. ताशी का मोरेना में आने का एक मकसद था, उसे टोरामल की हत्या करने के लिए वहाँ भेजा गया था, और उसने भेजने वाला था नरेश जिसकी बीवी पोलियो कैंप लगाने मोरेना आयी थी पर कभी वापिस नहीं लौटी। नरेश ने छानबीन के बाद पता लगाया कि मोरेना एक काली विधवा बस्ती मानी जाती है जहाँ घातक नामक शैतान की पूजा की जाती है और घातक अपनी हैवानी शक्ति उसी औरत को देता है जो अपने परिवार के सभी मर्दों का अंत कर दे. आज पूर्णमासी की रात, घातक की रात थी.
ताशी के वॉकी - टॉकी पर नरेश का संदेश आया.
नरेश - "ज़मीन पर चलते रहोगे तो मौत ढूंढ लेगी। मैं जिस छत के ऊपर टोर्च घुमा रहा हूँ, वहाँ पहुँचो।"
प्रतिशोध की आग तब तक जलती रहती है जब तक इंतकाम की बौछार उसे शाँत ना कर दे. नरेश ने ५ साल इस बदले का इंतज़ार किया था, इसीलिए वो मोरेना को तबाह करने के लिए बेताब था. ताशी एक छत पर टोर्च की रौशनी देख वहाँ चढ़ पहुँचा।
ताशी - "प्लान फ़ैल हो गया है. टोरा की हवेली के भीतर तो दूर अगर हम उसके आँगन में भी पहुँच गये तब भी वहाँ हमारे कंकाल ही गढ़ेंगे! इस वक़्त मोरेना के हर कदम पर मौत का पहरा है. हमें वापिस चले जाना चाहिए, फिर कभी आ कर इस गाँव को शमशान बना देंगे!"
नरेश - "मैंने ५ साल अपनी बीवी की याद में काटे हैं, इन दरिन्दों ने उसे कफ़न भी नसीब नहीं होने दिया होगा। तुम्हे जाना है तो जायो, अगर आज रात मेरी चिता जलेगी तो उसकी लपटों में ये गाँव भी राख होगा।"
नरेश ने अपनी बात पूरी ही की थी की तभी छत की इंटों को तोड़ते हुये दो हाथ उभरे और उसके पैरों को जकड़ लिया! ताशी कुछ कर पता उस से पहले ही नरेश का शरीर छत को तोड़ता हुया नीचे जा गिरा। अपने सामने का नज़ारा देख नरेश के होश उड़ गये. उसके सामने उसकी बीवी सीमा डायन की तरह खड़ी थी. सीमा के बिखरे बाल उसके पैरों को छू रहे थे, उसके पैर उलटे हुये पड़े थे, मर्दाना आवाज़ में उसने बोला।
सीमा - "अधूरी हूँ मैं पति परमेश्वर, घातक को तुम्हारा चढ़ावा चाहिए तभी पूर्ण बनूँगी मैं!"
नरेश - "ताशी अपने मकसद को पूरा कर, भाग ताशी, भाग."
छतों को कूदता फांदता ताशी वापिस हवेली की ओर बढ़ गया. इधर सीमा की बाँहें नरेश को अपने शिंकजे में जकड़ चुकी थीं. उसके बाल नरेश की गर्दन को कस चुके थे. अपनी हड्डियों की चरमराहट नरेश के कानों तक गूंज रही थी.
सीमा - "सालगिरह मुबारक हो प्रिय!"
इतना कहते ही सीमा ने अपने दाँत नरेश के चेहरे में गाढ़ दिये, नरेश का खून सीमा की काली साड़ी पर टपकता चला गया. अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर नरेश ने अपनी जेब में हाथ डाला और डेटोनेटर का बटन दबा दिया।
नरेश - "और तुम्हें मौत मुबारक हो सीमा!"
नरेश की छाती से बंधी विस्फोटक जैकेट में 'क्लिक' की आवाज़ हुयी और दोनों के परखच्चे उड़ गये. ताशी अब तक घातक की मूर्ति के सामने था पर हवेली के आँगन की मिट्टी ज़ोर - ज़ोर से हिलने लगी, उस में से विभित्स व अधजले सिर उभरने लगे, उन में से एक सिर उछल कर ताशी के पैरों पर चिपक गया और देखते ही देखते उसके नुकीले दाँतो ने ताशी के पैर काट खाये। अधमरा हुया ताशी घातक के सामने लेटा दर्द से कराह रहा था, उसकी आँखें बार - बार अपने पैरों के स्थान पर हड्डियों को देख कर फटी जा रही थीं. अँधेरे के सीने को चीरते हुए टोरामल, रोमी, अघोरी और शौर्य ताशी के सामने आ खड़े हुये।
टोरामल - "टोरा टर्र - टर्र करता कोई मेंढक नहीं जो तुझ जैसों के हाथों मारा जाएगा! मैं वो अजगर हूँ जो तेरे जैसे अनगिनत सपोलों को उनकी हड्डियों समेत निगल जायूं, घातक को ५०० मर्दों का रख्त पीना है तब जा कर मैं घातक का हिस्सा बन पायूँगा लेकिन एक राज़ की बात बातयूं, अब तक २९९ आदमजात को मार कर शौर्य घातक का अंश पा चुका है. वो घातक है!"
अघोरी ने नाचना शुरू कर दिया। उसके तांडव से धरा हिल उठी थी, शौर्य की जीभ ताशी के कलाई पर लिपट गयी और उसकी चमड़ी के अंदर समाने लग गयी, ताशी की चीखें दूर - दूर तक गूँज रही थीं. अगले ही पल ताशी की चमड़ी उसके शरीर से फट कर अलग होने लग गयी तभी "पिं" की एक तेज़ आवाज़ हुयी और एक बड़े धमाके ने रात के अँधेरे को रोशन कर दिया। दरअसल हवेली पहुँचते वक़्त ताशी ने टाइम बम एक्टिवेट कर दिया था. घातक के टुकड़े - टुकड़े हो गये थे.
===========================
Rating - 154/200
Judges - Mayank Sharma, Mohit Trendster and Pankaj V. (Shaan)
Total Rating (3 Rounds) - 442/600 (73.67%)
No comments:
Post a Comment