*) - ये जो देश है मेरा
(Kapil Chandak)
"शैली, पता है आज मेरे पापा आ रहे है सात दिन यही रहेंगे मेरे जन्मदिन तक"
विद्यालय में छुट्टी की घंटी की सुहानी गुंजन के साथ 'नन्ही' के पैरो में मानो पंख लग गए।
यो ओ"… वन में दौड़ते हिरनों की भांति कुलांचे भरती हुयी नन्ही बाहर की और भागी।
इस उपक्रम में साइकिल सवार ग्वाले ने अपना संतुलन खोया, पडौसी चाची की
महत्वाकांशी रंगोली की शिनाख्त मुश्किल हुयी, आठ साल के बबलू की पतंग ने
आसमान की जगह सड़क पर बह रहे पानी में अपनी नियति ढूंढी, बछड़े ने मासूम गोदी
में प्यार पाया, दामोदर काका के खेतो ने कुछ गन्ने और गंवाए, लाला ने
जुबानी खर्चे की कीमत पर मिठाई का त्याग नहीं करने की हिमाकत पर ठेंगा और
कंजूस का तमगा पाया, पंडित जी ने भगवा कपड़ो को मिट्टी की खुशबु से रूबरू
होने से पहले आगाह किया "बेटी संभल कर भागो, अरे कूदना मत, धत तेरे की,
पंडिताइन बाल्टी भर दो, फिर से नहाना पड़ेगा"
अंततः प्रचंड पर-अहित के बिना नन्ही ने स्कूल से घर तक का सफ़र तय किया।
"पापा आप आ गए!" बांहों से होती हुयी नन्ही पापा के कंधो पर जा बैठी, और पूरी दुनिया की सर्वेसर्वा हो गयी।
रात
का खाना हो चुका था। नन्ही की दादी दिर्घाहार के कारण अभी भी जिव्हा सुख
का रस्वादन में मगन थी। नन्ही, मम्मी और पापा सब दादी के साथ ही रहते है।
पापा 'अर्जुन सिंह" फ़ौज में है, घर से दूर रहकर देश और परिवार दोनों का ही
संरक्षण करते है। मम्मी, नन्ही का बचपन और घर संवारती है। नन्ही कुछ दिनों
में 10 साल की हो जायेगी।
"पापा ये आपके लिए"
"ये क्या है?"
"अरे ये तो रंग गोरा करने के क्रीम है, फेयर एंड फेयर! ये मेरे लिए है? क्यो?"
"कुछ दिनों पहले इसने हमारी शादी वाली एल्बम देखी तो कहती है मम्मी, पापा
शादी के समय इतने गौरे थे अब तो रंग थोडा डार्क हो गया है, पापा आयेंगे तो
उनके लिए फेयर एंड फेयर लाऊंगी ताकि पापा और भी हेंडसम लगे पहले की तरह"
मम्मी ने मीठा खुलासा किया।
"पापा
मैंने टीवी पर देखा है की जो गौरे नहीं होते उन्हें जॉब नहीं मिलती, कोई
उनकी सिंगिंग पसंद नहीं करता, उन्हें कामयाबी नहीं मिलती और जो फेयर एंड
फेयर लगा कर गौरे हो जाते है उन्हें जॉब मिल जाती है, सिंगर बन जाते है,
हीरो बन जाते है, हर जगह छा जाते है, दुनिया उनके पीछे पागल हो जाती है"
अर्जुन
सिंह सोच मैं पड़ जाते है की हम फौजी बाड़मेर के तपते रेगिस्तान मैं 48
डिग्री पर भी डटे रहते है, ताकि घरो मैं ए.सी. के नीचे लोग बाहर झुलसती
गर्मी को चिढ़ा सके, दिन-भर चलती रेत की पैनी आंधिया हर अंग को छलनी कर देती
है, लेकिन जज्बे से भरी आत्मा को नहीं भेद पाती। अपनों के बिना रेगिस्तान
की ठंडी राते भी तारो की अंतहीन गिनतियों की भेंट चढ़ जाती हैं। देश की
रक्षा की कीमत में अनेको मूल्यहीन चीजों का न्योछावर करने में क्रम में
उनका हुलिया तो फिर बहुत पीछे है। हुलिया तो ऐसा हो की दुश्मन हमारी परछाई
से भी खौफ खाए, यही हमारी ख़ूबसूरती है, तब ही देश के असली गहने कहलायेंगे।
"बेटा
यही तो ट्रेजड़ी है की ऐसी बाते जिम्मेदार मीडिया के जरिये भी फ़ैल रही है,
ऐसी गुमराह बातों को तरजीह दी जाती है की देश के हीरो तो फेयर और हेंडसम
लोग है। अगर ऐसा होता तो आज भी हमारा देश गोरो का गुलाम होता, हम काले लोग,
गोरो से उनकी छाती पर चढ़ कर हलक से आज़ादी नहीं छीन पाते"
"पापा सही कहा आपने; आप को इसकी क्या जरूरत आप तो सबसे हेंडसम हो, 6 फीट लम्बे, हट्टे-कट्टे, अकेले ही 100 लोगो को धुल में मिला दो "
सात
दिन, महीने भर बाद मिली पगार की तरह जल्द ही खर्च हो गए। नन्ही के पापा
देश के दुश्मनों की आँखों की किरकरी बनने फिर से राजस्थान-पकिस्तान की सीमा
पर चले गए। रात में एक बार फिर से पडोसी देश ने अकारण फायरिंग शुरू कर दी।
दिन-भर के सफ़र की थकान जोश और फ़र्ज़ के आगे नत-मस्तक हो गयी। सुबह करीब 6
बजे दोनों तरफ से आग उगलते दानवो ने अवकाश लिया। घायल साथियो का इलाज शुरू
हुआ।
"आराम से राघव, ज़ख्म गहरा और ताज़ा है", अर्जुन ने टोका।
"ये जख्म नहीं, तमगे है हमारे, इस दर्द से कैसा बैर"
"वो छावनी पर लहरा रहा तिरंगा देख रहा हैं, अर्जुन; भारत माँ का आँचल है
वो, माँ की गोद और दर्द तो कभी ना मिलने वाले दो किनारे है, गोद में भला
उसका बच्चा बिना मुस्कुराये रह सकता है?" राघव मुस्कुराया और भारत माता की
गोद में अंतहीन मीठी नींद में खो गया।
तेरी ही मिट्टी में जन्मा मैं माँ,
फिर तेरी ही मिट्टी का जर्रा मैं बना
तू ही है आसमां, साया मेरा,
तू ही बंदगी, तू मेरा खुदा,
तेरा ही लहू, नसों में बहा,
तुझ से मिला मैं, अब जुदा हु कहाँ।
एक और साथी की वियुक्ति की टीस, अर्जुन के सीने में धंस गयी। वो रात अर्जुन को अनुत्तरित सवालो से द्वंद करने के लिए छोटी लग रही थी।
"क्या
गुज़र रही होगी राघव के परिवार पर, माँ-बाउजी, पत्नी और बच्चे कैसे ये
संताप सहेंगे। कैसी त्रासदी है? जब बन्दूक से निकली गोली किसी को वापस
जिंदा नहीं कर सकती, वो तो केवल बच्चो को अनाथ, मांग और गोद को सूनी ही
करती है, तो फिर गोलिया बनती ही क्यों है? क्यों बनाते है हम लोग इसे? कहने
को पूरा जहाँ भगवान ने हमारे लिए बनाया हैं और यहाँ जमीन-आसमान सब बंट
गया, खून किसी का भी बहे, सरहद के इस पार या उस पार; खून तो इंसान का ही
होगा,
उधर नन्ही दुनियादारी से दूर माँ के हाथों का गरमा गरम खाना खा रही थी।
"माँ
पता है आज, बड़े वाले पार्क में, मैं और शैली खेल रही थी तब वहाँ कुछ लोगो
ने पिकनिक मनाने के बाद बचा हुआ कचरा डस्टबिन की जगह वही किनारे पर फ़ेंक
दिया, मैंने टोका की अंकल प्लीज डस्टबिन मैं कचरा डालिए नहीं तो पार्क
गन्दा हो जायेंगा। अंकल ने कहा की डस्टबिन थोडा दूर था, लेकिन कोई बात नहीं
मैं उसी में कचरा डाल देता हूँ, तभी दुसरे अंकल ने उन्हें रोका,
"क्या
सक्सेना साहब आप भी बच्चो की बातों पर गौर कर रहे हो। यहीं डाल दीजिये
कचरा, दुसरे लोगो ने भी यंहा डाला हुआ है, सक्सेना साहब ये इंडिया है,
अमेरिका नहीं "
"माँ
अंकल ने जब कहा की ये इंडिया हैं, तो मुझे बहुत बुरा लगा, उनके बोलने के
अंदाज़ में वो अभिमान और सम्मान नहीं था जो पापा के 'इंडिया' बोलने में होता
है"
माँ और दादी दोनों ही स्तब्ध रह गयी।
"बेटा, अगर तुम, अपनी क्लास मैं फेल हो जाओ तो क्या मैं और दादी, घर-घर जाकर लोगो से तुम्हारी बुराई करेंगे?
"नहीं माँ आप तो चाहोगे की मैं ज्यादा अच्छे से पढू, आप मुझ पर ज्यादा ध्यान दोगे, मुझे मोटीवेट भी करोगे"
"और जब तू अच्छे अंको से पास हो जायेगी तो मिठाई भी बाटेंगे", दादी ने चुटकी ली।
"पता है नन्ही, हम लोग ऐसा क्यों करेंगे? क्योंकि तू हमारी अपनी है, हमारा
परिवार है, इसलिए हम निंदा करने के बजाय, तुम्हारी मदद करेंगे ताकि तुम
बेहतर बनो और यहीं हमारी खुशियों का बहाना बनेगा।
"बेटा
ये बहुत बड़ी त्रासदी है की लोग अपने देश को अपना परिवार नहीं समझते, नहीं
तो व्यंग कसने के बजाय उस चीज़ को सुधारते और गरूर करते। वो समझे ना समझे पर
देश तो उन्हें अपना मानता हैं, माँ की तरह बिना शर्त अपनी गोद मैं खिलाता
है, पिता की तरह जिंदगी भर अपने साए में महफूज़ रखता हैं, मिटटी से मिटटी तक
का सफ़र साकार करता हैं। कभी कोई अपने माँ-बाप को किसी से कम्पेयर नहीं
करता फिर ये लोग देश को और उसके विकास को किसी दुसरे देश से क्यों नापते
है?"
आर्डर
आया है, सुबह 5 बजे उत्तराखंड के लिए कूच करना है, लाखों जाने फंसी है
केदारनाथ में। अर्जुन सिंह 4 बजे ही मुस्तैद हो गए। भारी बारिश और भूस्खलन
के बाद केदारनाथ में हजारो-लाखो लोग मलबो में फंसे, मदद का इंतजार कर रहे
है। नेता अपनी-अपनी जीभ की नुमाइश कर रहे है। मीडिया अलग अलग मन बहलाऊ
तरीके से खबरे दे रहा है। इन सबके बीच स्थानीय लोग और भारतीय सेना फरिश्तो
का फ़र्ज़ निभा रही है।
तीन-चार
दिनों में विरोधी मौसम के बावजूद हजारो लोगो को सुरक्षित निकाल लिया गया
फिर भी स्थिति बदत्तर होती जा रही है। वहां का वीभत्स दृश्य अकल्पनीय हैं
हर तरफ लाशें ऐसे फैली है की खुद के जिन्दा होने पर भी संदेह हो जाए।
अर्जुन एक मासूम चीत्कार की तरफ दौड़ा, उधर एक हाथ मलबे से बाहर आने को है,
हाथ पकड़ कर खींचा, हाथ उखड कर हाथों में ही रह गया, कलेजा सन्न हो गया,
लाशें क्षत-विक्षत होने के साथ-2 गंदे पानी में सड़ चुकी है। विदीर्ण हृदय
के साथ उस हाथ को धीरे से भूमि पर रख दिया। वज्राघात तो अभी बाकि था, "ये
क्या हाथ की एक अंगुली तो ताज़ा कटी हुयी है, हे इश्वर किसी राक्षस ने
अंगूठी के लिए…"
वापस
वहीँ करुण 'चीख', उस पुकार की दिशा में झाडियों के पीछे गया वहां
एक बेसुधसा बच्चा छटपटा रहा था, उसने ऊँगली से ईशारा किया, अर्जुन ने पलट
कर देखा, "पूरी स्कूल बस ही उलटी पड़ी है", घर को अपनी रौनक से महका देने
वाले बच्चो की लाशो से भंयकर दुर्गन्ध आ रही थी। "हे महादेव कैसी बेरुखी
हैं और क्या-क्या देखना रह गया मुझे" बच्चे को गोद मैं ले कर राहत शिविर की
तरफ दौड़ा।
उधर
नन्ही के गाँव के बड़े मंदिर में धार्मिक कार्यकर्म उन्माद पर हैं, बाहर
जुलुस की तैयारी हैं, हाथी, घोड़े, बाजे-गाजे, ढोल-मंजीरा, मिठाई-फूल,
झंडे-झंडियां सभी बच्चो के लिए कौतुहल का सबब बनी हुयी हैं। भक्तजन का
अलौकिक आन्नद चरम पर है। नृत्य, भजन-गान के इस माहौल मैं हर कोई यति - योगी
जान पड़ता हैं।
अनायास
उत्सवी उल्लास के वातावरण में खलल हुआ, किसी अनैतिक तत्व ने जुलुस पर कचरा
फ़ेंक दिया। निठ्ठले हुडदंगियो को मौका मिला। कभी शिव लिंग पर जल नहीं
चढ़ाया; आज धर्म के नाम पर मासूमों पर चढ़ाई को तत्पर है। कभी कुरान को छुआ
नहीं आज हाथ से तलवारे नहीं छूट रही। सोते गाँव में तांडव जाग उठा,
दंगाइयों ने घर फूँक दिए, सपने जला दिए।
उधर
केदारनाथ धाम में आधी रात को भी अर्जुन के अरमान नहीं बुझे। "अंकल!", मदद
के लिए चीख-चीख कर थके हुए गले से आई इस थर्रायी हुयी आवाज़ ने अर्जुन को भी
कंपा दिया। "मेरे बाबा उधर पत्थर के नीचे दबे है" पीछे खड़े लगभग 12 साल के
लड़के ने एक तरफ इशारा करते हुए कहाँ। बूढा शरीर संवेंदना शुन्य आँखों से
मौत की बाट जोह रहा था।
"आप
घबराइए नहीं मैं अभी आपको निकाल लूँगा।",बाबा के दोनों पैरो पर चट्टान आ
गिरी है, सारा दर्द 3 दिन में बह कर जम गया। अर्जुन ने शरीर में बचे शक्ति
के आखरी ज़र्रे का इस्तेमाल करते हुए चट्टान को एक तरफ धकेल दिया। बूढ़े बाबा
को लगा 'वर्दी में भगवान' आए है।
माँ
ने नन्ही को गोद में लिया और जलते मकान से झुलसते हुए हुए जिंदगी की दिशा
मैं भागी, नन्ही की दादी सुबह ही शहर अपने भाई के यहाँ चली गयी थी। "मम्मी
अब हम कहाँ जायेंगे, वो लोग तो सामने वाले रास्ते में भी है", "बेटा तू इस
बड़े पाइप में छुप जा, मैं उस पेड़ के पीछे चली जाती हूँ; घबराना मत मैं यही
हूँ"।
दंगाईयो की राह भटक गयी एक गोली, माँ के
ममतामयी दिल से जा चिपकी, अंतिम बार नन्ही को देखने की हसरत दिल में समेटे,
कटे वृक्ष की भांति निष्प्राण धरती पर आ गिरी।
कैसी बिडम्बना है एक तरफ नन्ही
के पापा रक्षक बन लोगो की दुआए लूट रहे हैं, दूसरी और किसी हैवान ने उसकी
मम्मी को दुआ कबूल करने के वाले खुदा के पास भेज दिया। नन्ही की आँखे ऊपर
चढ़ गयी, कलेजा फट जा रहा था, अँधेरी सिसकती रात में उसे माँ की लाश के पास
बैठे देख, धर्म के मर्म से बेगाने पशुओ के दिल तो नहीं लेकिन आस-पास के
पत्थर जरूर भी पिघल गए ह़ोंगे।
अर्जुन
सिंह गाँव पहुंचा, फ़र्ज़ के लिए पसीने की जगह खून बहाना उन्हें कभी नागवार
ना हुआ लेकिन आज रक्त अश्रु की वेदना असह्य प्रतीत हो रही है। नन्ही दौड़
कर पापा से लिपट गई। आँखों में अथाह वेदना, निस्तेज चेहरा देख कर उस शूरवीर
का शरीर भी जर्द हो गया। पापा के घर आने का उन्माद, दुःख के आवेश में
विलीन हो गया। पापा ने नन्ही के सर पर हाथ फेरा, माँ की कमी को कैसे
झुठलाऊ, आँखे फूल गयी है; लेश्मात्र भी आशंका नहीं थी की प्रियतम यूँ मझधार
मैं छोड़ जायेगी।
दो
मोटी बूंदे, नन्ही के गालो से लुढ़कती हुयी, पापा के हाथों में समा गयी,
अर्जुन के हृदय पर नश्तर चलने लगा। वो सोच मैं पड़ गया "बिना माँ के बच्चा
ब्रह्माण्ड में अकेला होता हैं, माँ साथ हो तो पूरी दुनिया पास होती हैं।
बच्चे की तोतली बोली जग के लिए भले ही हंसी का कारण हो लेकिन माँ के लिए
मुस्कुराने का बहाना होती है। मनपसंद पकवान खा कर निंदिया मग्न बच्चे को
कहाँ ध्यान की माँ ने ये रात भी फाको से गुजारी है। रेलगाड़ी के इंजन का तेज
भोंपू भी दिन भर की भाग-दौड़ के बाद गहन निंद्रा से माँ को जगा पाने में
विफल है वहीँ बच्चे का सूक्ष्म क्रंदन सौ कदम की दूरी से माँ को खीच लाता
है, कैसे रहेगी नन्ही अब माँ के बगैर?"
तू माँ है मेरी, मैं हूँ तेरा गुरुर,
क्यों छोड़ा अकेला, मेरा क्या कसूर,
माँ कह देना, तू आएगी जरूर,
नादां हूँ मैं थोड़ी, ना रहना यूँ दूर,
तू कहती हैं ना, बेटा तू हैं मेरा नूर,
क्यों रूठी हैं माँ तू, क्या हो गयी भूल?
सात साल गुज़र गए।
"नन्ही, बेटा इतनी सुबह-सुबह कहा जा रही हो?, 15 दिनों के लिए ही आया हूँ, पापा के पास भी तो बैठो थोड़ी देर"
"पापा बस अभी दो घंटे मैं आई, फिर सारा दिन ढेर सारी बातें करेंगे "कहते-कहते नहीं ने स्कूटी स्टार्ट की।
"बेटा, मंदिर के पास वाले मैदान में तीन महीने पहले करीब 150 पोधे लगाए थे,
रोज़ सुबह जा कर उन्ही को पानी देकर आती है; कहती है दादी, पूरे गाँव को
फिर से हरा-भरा कर दूंगी"
"माँ, कुए के पास जो कच्चा रास्ता
था, वहां भी तो नन्ही ने सरकारी ऑफिस में चक्कर लगा-लगा कर पक्की सड़क बनवा
दी, अब तो बिजली वाले भी डरते है बार-बार बिजली काटने से, कहीं नन्ही आ कर
धरना ना दे दे"
"तूझे पता नहीं, शाम को सरपंच जी के आँगन में गाँव की बुजुर्ग औरतो और पुरुषो को पढ़ाती है, कभी-कभी तो मुझे भी खींच ले जाती है।
"एक दिन कह रही थी, दादी, मेरी
माँ नहीं रही तो क्या, मेरी भारतमाँ तो हमेशा मेरे साथ रहेगी, मैं अपने
मातृभूमि को माँ की तरह प्यार करती रहूंगी। देश और देशवासी उन्नत रहे यही
मेरा ध्येय है; और फिर मेरी भारतमाँ को कोई विकृत धर्म का ठेकेदार भी मुझसे
छीन नहीं सकता क्योंकि इसका कोई एक 'धर्म' जो नहीं है, यह तो हिन्दू भी
हैं और मुस्लिम भी"
"भारत माँ की इस बेटी को सलाम" अर्जुन ने सजल नेत्रों से कहा।
Rating - 69/100
Eligible for Multiple Genres Listed in Theme Bonus : Plus 5
Final Rating - 74/100
Judges Comments
35 out of 50 कहानी के लिए. +9/10 शब्दों के खूबसूरत प्रयोग के लिए. +7/10 screenplay के लिए. Parallel scenes का काफी खूबसूरती से वर्णन किया है. +6/10 कहानी की पाठक को बंधे रखने कि क्षमता के लिए. +5/10: कहानी का पाठक की सोच को प्रभावित करने के लिए. +7/10- पाठक को अंत तक बांधे रखने के लिए.
आपकी कहानी में कलात्मकता और भावों का वर्णन बहुत अच्छा होता है. आप थोड़े और intense भाव डाल सकते हो. जैसे कि माँ के मरते वक्त, थोड़ा और वर्णन लिखें, उसे एक लाइन में समाप्त न करें. आपकी यहीं खूबी है. मरते हुए उसके मन में बेटी और शायद पति की याद भी आई हो. और उसे मरते हुए देख कैसे उसकी बेटी का कलेजा मुंह में आ गया होगा... कुछ इस तरह... just an example from me, इन भावों को आप मुझसे अच्छा लिख सकते हैं.
So total: 35+9+7+6+5+7= 69/100
"जी, उसे तो ना द्राविड या दादा बनने की है चिंता...
लोलीपोप मुंह में दबाये लिखता रहता है कविता!"
"यह तो हो गया ज़ाकिर हुसैन वाला 'वाह'!"
"जी, काहे का वाह, कविता लिख - लिख १० - १५ कापियां हैं भर डाली..
और, प्रेशर के टाइम में भी कॉपी उठा कर चला जाता है शुरू करने पानी का प्रवाह...
अब, नितिन को कौन समझाए...
गिल्ली - डंडे से किसी की आँख न फोड़े, ना पतंग के पेचे लड़ाए!"
"शर्मा इतना भी मत बनो शय - शय,
तेरे घर फरहान अख्तर है बैठा,
फिर भी तुझ जैसा जावेद युस ना करे दया,
अब, तू मस्त होकर पि बौर्न - विटा,
कल, तेरी तन और मन की शक्ति बढ़ाएगा वाई - फाई."
रविवार के दिन ६ बजे ही नील शर्मा के घर इक्कठा हो गया मीडिया,
शर्मा जी, ने दरवाज़ा खोला और मीडिया को भगाने का ढूंढने लगे आईडिया.
"यहाँ, लंगर होने वाला है या है यह भक्तों की टोली,
थोड़े कूल - कूल होकर आयो, बाथरूम जाने की मेरी अब आई है बारी!"
मीडिया वालों ने खुला दरवाज़ा देख कर अन्दर धावा बोला,
बम - बम बोलते उनके पीछे जा रहे शर्मा जी का दिल रिंगा - रिंगा डोला.
लो, जिस महान पोएट को ना जगाने के लिए शर्मा साहब सबको इशारा कर रहे थे की बोलो आहिस्ता....
उस नितिन शर्मा ने तो शुरू कर दी थी अपनी कविता.
अब, शुरू होंगे मीडिया के सवाल,
नील शर्मा जी के लाल - लाल हुए जाएँ गाल.
इससे, पहले पूछा जाता कोई सवाल..
नितिन ने मुंह में डाल लिया लोलीपोप, और बोला.
"ओ अंकलों मुझे किड्नाप करने आये हो?...जल्दी, करो पर पहले मेरा स्कूल बैग उठा लो!"
"बेटा, इमरान का करियर लुटने के बाद, आमिर ने हम से रनबीर की किड्नापिंग की शपथ है खिलवायी....
तुम्हे कविता लिखनी कबसे आई?"
"ऐसे, बेतुके शब्दों को फिर से जोड़ कर अगर बनाया तुम अंकलों ने सेंटेंस...
निरूपा रॉय की कसम, तोड़ दूंगा तुम्हारे तेलेविसीन सेट कूद के तुम्हारी फेन्स!"
"मगर....."
"कविता के बारे में जानना ही है तो लोलीपोप का लायो डब्बा..
साइड, हटो मुझे जाने दो बाथरूम विद माय water डब्बा!"
नितिन की लोलिपोपों की लोटरी लग गयी,
और फिर नितिन बोल ही उठा...
"अरे, अंकल्स कविता मेरी poem का नहीं मेरी गर्लफ्रेंड का नाम है...
ये, आदात मुझे मुकेश भैया ने है डाली,
क्यूँ की उनकी गर्लफ्रेंड का नाम है दीपाली.
पर, आप लोगों ने मेरी लोलीपोप की लोटरी लगा दी,
लो, एक कॉपी ले जायो,
इस में मैंने कविता है भरी हुयी,
अगली, बार आयोगे तो ले के आने तंदूरी नान के साथ चिकेन बिरयानी!"
Judge's Remarks
इसमें छः रचनाएँ हैं, इनकी Marking, my rating style is a bit different:
Actors (30, इसको सबसे ज्यादा weightage दिया है क्योंकि ये आपकी सबसे लंबी रचना है): Concept अच्छा है, पर कुछ चीज़ें सुधारी जा सकती थीं. जैसे donation/ social cause पर काम करने वाले बच्चे एक कुत्ते की हत्या नहीं करेंगे, ऐसे cruel बच्चे social काम नहीं करते. और फिर joy ने इस प्ले में क्या खास एक्टिंग करी कि इतनी तालियाँ बजीं? अभिमन्यु का पात्र अच्छा है, आकाश के पात्र में जान नहीं है. वो दुश्मन के सामने धरने में रो रहा है!!! थोड़ा तो टफ होते है धरना करने वाले. सीन लिखते वक्त थोड़ा लोगों कि सोच पर ध्यान दो. अभिमन्यु का दोस्त आकाश मर रहा है और उसे चिंता उसकी ज्यादा होती दिख रही है जिससे गोली चली. फिर भी इस कहानी का सस्पेंस अछ है, ट्रेजिक एलेमेन्ट भी ठीक-ठाक है. Concept is good u can re write and make it a fantastic story. Score: 12/30 (40/100)
Blessings (14): Be Careful with words. Author भजन/गाने क्यों लिखेगा. ये काम lyricist या song writer ka hota hai. कहानी थोड़ी बचकानी है. terrace पर रॉकेट लॉन्च होना. सेल्समैन Chloroform बेचेगा तो उसे घर में कौन घुसने देगा? और ये जानते हुए कि बेहोश हो जाऊंगा, कौन अनजान सेल्समैन से खुद पर experiment karayega. ऐसे दिखा सकते थे कि वो कुलेश को किसी गलत काम के लिए वो दवा बेचने आता है, और फिर उसे झपट कर बेहोश कर देता है. Score: 4/14 (29/100)
Economy (14): मिस झारखंड का भाषण अच्छा है. खासकर malaria की दवा की जगह गुड नाईट बार खाने वाली बात. बाकी कहानी अटपटी है, but it’s humorous. Score 7/14 (50/100)
Poem टूपी - टूपी, टप - टप! (14): कहानी से ज्यादा आप कविता अच्छी लिखते हैं... और लिखते रहिये. ले तो अच्छी है, थोड़ा मेसेज भी मिले पाठकों को तो और भी अच्छा लगेगा. Score 10/14 (70/100)
Suffering (14) good humour. पढकर मजा आया. बदला लेने का अनोखा तरीका है... थोड़ा यकीन कम ही आया पर enjoy किया. डायलोग अछे हैं. 8/14 (57/100)
ZZZZ (14) good poetry once again. 10/14 (69/100)
so total 51/100
Result - Mr. Kapil Chandak wins the match and qualifies for semi finals. Mr. Karan Virk is eliminated from Freelance Talents Championship but is eligible for combined final playoff match against Miss Ranjana Sharma & 2 other eliminations from Quater Finals. to decide fifth, sixth, seventh and eight spots out of 311 Authors.
Judge - Mr. Shubhanand (Author - Rajan Iqbal Reborn Novel Series, total 6 Novels till date)
35 out of 50 कहानी के लिए. +9/10 शब्दों के खूबसूरत प्रयोग के लिए. +7/10 screenplay के लिए. Parallel scenes का काफी खूबसूरती से वर्णन किया है. +6/10 कहानी की पाठक को बंधे रखने कि क्षमता के लिए. +5/10: कहानी का पाठक की सोच को प्रभावित करने के लिए. +7/10- पाठक को अंत तक बांधे रखने के लिए.
आपकी कहानी में कलात्मकता और भावों का वर्णन बहुत अच्छा होता है. आप थोड़े और intense भाव डाल सकते हो. जैसे कि माँ के मरते वक्त, थोड़ा और वर्णन लिखें, उसे एक लाइन में समाप्त न करें. आपकी यहीं खूबी है. मरते हुए उसके मन में बेटी और शायद पति की याद भी आई हो. और उसे मरते हुए देख कैसे उसकी बेटी का कलेजा मुंह में आ गया होगा... कुछ इस तरह... just an example from me, इन भावों को आप मुझसे अच्छा लिख सकते हैं.
So total: 35+9+7+6+5+7= 69/100
*) - The Anthology of Adventurous –
Tragedies
(Karan Virk)
This is a compilation of stories, in short
it’s an anthology. An anthology
is a collection of literary works chosen by the compiler. It may be a
collection of poems, short stories, plays, songs, or excerpts. This anthology
is presented in form of alphabets.
A
for Actors
Sundarlal Sharma
Auditorium aaj darshakon se bhara huya tha.
'Goodmorning Sir. Me and my friends are from Blossoms Middle School. We are selling, Chocolates to raise donations for, 'Starve Hunger' Camp at our school. Would you like to buy one?'
Joy - No!
Darwaza bacchon ke munh par band ho gaya.
Shammi - Saala, jo Angrezi ka ratta chadya tha...Kisi kaam ka nahi..Sukhi, agli baar tu hi boliyo.
Sukhi - Munh par darwaza maara hai. Jee, toh karta hai iski chamdi utar kar, iski haddiyon ka Exhibition, Biology Class mein karun........Aye, woh dekh yeh kutta iske Garden mein bandha huya hai....Naresh, patthar le kar aa.
Ek dardnak cheekh gunzi. Joy ka garden, laal ho gaya. Joy, bhaaga huya aaya. Bacche jaa chuke the. Apne, kutte ki laash ko baahon le kar rone laga.
Joy - Kabhi - Kabhi, sabse kamzor....Sabse gehra ghaav de jaate hain.
Poora Auditorium taaliyon se gunz utha. Phoolon ki kalmein, hawa mein tairti huyi, Joy ka Role kar rahe Ashok ke pairon mein girne lagin. Parda band ho gaya.
Vishwa - Mr. Mittal, he is an fantastic actor.
Mittal - I know, Mr. Vishwa....I know.
Backstage, mauhal abhi shaant tha. Bawanda ke aane se pehle ki shaanti hawa mein thi.
Abhimanyu - Chaa, gaya kaminey......Chaa gaya...Kya, Performance di!
Parde ke peeche chal rahi iss tareef ke saath ab bahut kuch hone waale tha. Armani ke suit ki chamak ne Ashok, Abhimanyu,Uday ko chaunka sa diya.
Mittal - Well Done Mr. Ashok. What an exceptional play! I am Narayan Mittal and this is J.K. Vishwa. We are from M&V Industries......Let me not waste mine and your time....I want to buy this auditorium.
Ashok ko kaato toh khoon nahi.
Ashok - Jee, Yeh mere Pitaji ki yaad mein.......
Vishwa - Ghar aayi Lakshmi ko nahi thukarate...Yeh joote jaante hain kitne ke hain? Pachas Hazar, Made In China....Real Snake Skin..Saanp ki chamdi utar kar banaye hain. Bas, tumhe yeh Auditorium bechna hai, phir dekho saanp jaisi hari chamdi waale noton mein soyoge.
Mittal - We will....Infact I will make you an actor in Bollywood. Think about all the fame, money, power, stardom. People dream of it, You will experience it. Just sign this Contract. You are just one signature away from Heaven.
Ashok maano putle ke saaman wahan khada huya tha. Munh se kuch bol nahi nikal rahe the. Par, uske doston ko jubaan ko abhi tala nahi laga tha.
Abhimanyu - Iss, Auditorium ke saath toh Jhuggi waale rehte hain.
Vishwa - Tod denge.
Ashok ki aankhon mein khoon utar aaya. Uske kaampte haathon ne Contract uthaya aur do bhaagon mein vibhajit kar diya.
Ashok - Auditorium....Baba ki aakhiri nishani thi.
Mittal ke kadam darwaze ki taraf chal pade.
Vishwa - Apni, Photo par haar taangne ki taiyari kar le.
Uday - Woh, nahi maanega.
Abhimanyu - Bulldozer pakka aayega.
Ashok - Humme, Morcha uthana hoga.
Jhuggi - Basti waalon ke saath mil kar, Ashok aur uske doston ke kadam, M&V Industries ki taraf badh gaye.
Dopahar ka sooraj, aasman mein chamakane laga tha. Dharna abhi bhi chal raha tha. Par, Mittal ki aankhein aur nahi dekh saktin thin.
Mittal - Hello, Police Station......
Vishwa ke kadam Industry ke Gate paar kar ke, Ashok ke saamne aa ruke.
Vishwa - Tera baap toh mar gaya...Saale, ab hume bhookhe maarega kya?
Vishwa ka haath ghuma aur Ashok ka munh surkh laal ho gaya.
Ashok - Main, paise ikktha kar ke tumhe de dunga.
Vishwa - Tere paas do Kidney hain.......Ek Bech de.
Ashok - Yeh, mere hak ki ladai hai. Par, main kutta nahi hun joh doosre kutton se apni roti ke liye cheena - jhappati kare. Hum, yahan tab tak baithe rehenge jab tak hume humara hak nahi mil jaata.
Vishwa - Toh, apne aap ko goli maar le beta. Kyunki, tera hak kab ka Minister dwara sign kar diya gaya hai...Tujhe, kya laga?...Sarkari zameen par, Illegal tareeke se Auditorium bana lega..Do din hain..
Ashok ki aankhon mein paani bhar aaya. Is se pehle uske dost usse, sambhalte Siren ki awaz se mauhal garam ho gaya. Police ke sipahi laathi charge karne lage. Logon, mein afra - tafri mach gayi.
Uday - Ashok, uth.
Ashok abhi bhi wahin baitha raha. Abhimanyu aur Uday kisi tarah usse utha kar laane mein kamyab huye.
Uday - Paisa...Corruption..Corrupt log apne Desh ke saath - saath khud ko toh bech hi chuke hain. Ab, toh Sarkar ko Casinos mein logon ko ek dusre ka cheer haran bhi karne dena chahiye. Apne, bacchon ko maar kar un par se School ka bojh khatam karna chahiye..
Abhimanyu - Shaant Reh... Dekh, Ashok tu apni Performance par dhyaan de. Yeh shayad tera aakhiri Show hai. Yeh, Show hum khaas Charity ke liye kar rahe hain. Apni, nahi toh un Jhuggi waalon ki toh kuch madad kar paayein.
Ashok - Yeh le...Auditorium ka kagaaz. Shayad, yeh mere se zada tere haath mein rehne ka hakdar hai. Darwaza toh band ho hi chuka hai. Ab, koi chabbi nahi chalegi.
Abhimanyu kuch bola nahi. Bas, usne apne dost ko gale se laga liya. Parda uth gaya. Aur, Ashok, Nirav ke character mein badal gaya. Natak shuru huya.
'Nirav Shah...Zindabad'
Nirav - Yeh desh kahan tha. Ab kahan ho gaya hai. Aaj ka Youth badal gaya hai. Aaj, Change ki zarurat hai. Main koi krantikari nahi hun. Par, apne jaise College ke liye meri hi zarurat hai. Main, vaada karta hun sabko sabka sampooran adhikaar milega. Ragging ki jad hi ukhad di jaayegi. Eve Teasing ko band kiya jaayega. Inn sab mein mujhe aap sab ki zarurat hai. Aur, aapko meri. Vote, mujhe hi dein.
Youth ki bheed mein naare aur zor lene lage.
Peter ke pair daudte huye, Nirav tak pahunche. Aur, Nirav ke kadam wahan se seedha, Hostel ke 400 kamre mein pahunch gaya. Kamra, Ransa ka tha.
Ransa - Aayie, Neta Sahab! Kya lenge? Whisky, ya Desi hi peeyenge.
Nirav - Kaam ki baat bhaunk.
Ransa - Toh, Neta Ji aaj ki taza khabar yeh hai ki aap Election se withdraw kar rahe hain. Youth ko garam khoon chahiye.
Nirav - Khoon hai? Toh bahao. Par, tum kyun bahaoge? Baap, M.P. hai. Paise de kar Election jeetoge. Tere, Election jeetne par kuch nahi hoga. Cheating badhegi. Eve Teaser, Canteen mein chai ki chuskiyan lagayenge. Tu khud ek problem hai..Apne, Corrupt baap ki tarah.
Ransa - Mere, paas Maa hai.
Ransa ne jeb se bandook nikal, Nirav par taan di. Ek dhamaka huya. Aur, Nirav ka shareer shaant sa zameen par gir gaya.
Nirav ka Role kar rahe Ashok ka shareer sunn sa zameen par pada raha. Darshakon mein taaliyon ki awaz aur gehri hoti chali gayi. Ransa ka role, Play kar rahe Actor ke chehre par hawayein udne lagin...Ashok, ki Shirt se beh kar, Stage laal ho rahi thi...Abhimanyu, bhaga huya Stage par aaya...Ashok ke paas padi goli ko dekh kar woh sab mazra samajh gaya.
Abhimanyu - He is Dead........Tu, ghabra mat tujhe kuch nahi hoga. Tune, isse nahi maara.
'Ram Naam Sat Hai' ke naare sadak par gunz rahe the. Ashok ki laash lete huye, uske dost shamshaan ki taraf jaa rahe the. Abhimanyu ki aankhon mein sab se zada ansu the. Apne, Dost saman Bhai ki arthi woh kandhon par utha ke le jaa raha tha.
'Rukiye, aap aage nahi jaa sakte.'
Abhimanyu - Jee, hum shamshaan jaa rahe hain.
'Wapis, mud jaayie Sahib! Mr. Mittal ki Car yahan se guzarne hi waali hai..Aaj, woh apni Company ki Franchise launch karne jaa rahe hain.'
Uday - Ab?
Ashok ki laash ko waapis, auditorium ki stage par laa kar rakh diya gaya.
Abhimanyu - Aaj, aakhiri show dekh lo.
Abhimanyu, Seat par jaa kar baith gaya. Itne, mein jhuggi waale, Ashok ki laash par aa kar phool barsane lage.
Abhimanyu - Woh, mar chuka hai.
'Humare, liye toh Devta hai Sahab. Hum logon ko naye ghar diye jaa rahe hain. Sab, aap logon ke chande ki wajah se.'
Abhimanyu - Meri, nahi...Sirf, uski wajah se...Ab, tum log jaayo, Bulldozer kisi bhi pal yahan aa sakta hai..
Uday - Main, bhi rukta hun.
Abhimanyu - Tu, nikal...Main kuch der yahan akela baithna chahta hun.
Uday aur Jhuggi waale chale gaye.
Abhimanyu, Stage ki taraf aaya aur Ashok ki laash ko gale laga rone lage.
Abhimanyu - Maaf, karna Dost...Khoon se range inn haathon se antim sanskar kar raha hun. Apne, haathon se tere sapnon ka gala ghont diya.
Abhimanyu ne, Lighter nikala aur Stage par aag laga di. Aankhon mein ansu liye woh darwaze ki taraf chal pada. Jalti chita ke saath, Ashok ke armaan bhi dhuaan ban kar ud rahe the. Bulldozer ki awaz paas aa chuki thi.
'Goodmorning Sir. Me and my friends are from Blossoms Middle School. We are selling, Chocolates to raise donations for, 'Starve Hunger' Camp at our school. Would you like to buy one?'
Joy - No!
Darwaza bacchon ke munh par band ho gaya.
Shammi - Saala, jo Angrezi ka ratta chadya tha...Kisi kaam ka nahi..Sukhi, agli baar tu hi boliyo.
Sukhi - Munh par darwaza maara hai. Jee, toh karta hai iski chamdi utar kar, iski haddiyon ka Exhibition, Biology Class mein karun........Aye, woh dekh yeh kutta iske Garden mein bandha huya hai....Naresh, patthar le kar aa.
Ek dardnak cheekh gunzi. Joy ka garden, laal ho gaya. Joy, bhaaga huya aaya. Bacche jaa chuke the. Apne, kutte ki laash ko baahon le kar rone laga.
Joy - Kabhi - Kabhi, sabse kamzor....Sabse gehra ghaav de jaate hain.
Poora Auditorium taaliyon se gunz utha. Phoolon ki kalmein, hawa mein tairti huyi, Joy ka Role kar rahe Ashok ke pairon mein girne lagin. Parda band ho gaya.
Vishwa - Mr. Mittal, he is an fantastic actor.
Mittal - I know, Mr. Vishwa....I know.
Backstage, mauhal abhi shaant tha. Bawanda ke aane se pehle ki shaanti hawa mein thi.
Abhimanyu - Chaa, gaya kaminey......Chaa gaya...Kya, Performance di!
Parde ke peeche chal rahi iss tareef ke saath ab bahut kuch hone waale tha. Armani ke suit ki chamak ne Ashok, Abhimanyu,Uday ko chaunka sa diya.
Mittal - Well Done Mr. Ashok. What an exceptional play! I am Narayan Mittal and this is J.K. Vishwa. We are from M&V Industries......Let me not waste mine and your time....I want to buy this auditorium.
Ashok ko kaato toh khoon nahi.
Ashok - Jee, Yeh mere Pitaji ki yaad mein.......
Vishwa - Ghar aayi Lakshmi ko nahi thukarate...Yeh joote jaante hain kitne ke hain? Pachas Hazar, Made In China....Real Snake Skin..Saanp ki chamdi utar kar banaye hain. Bas, tumhe yeh Auditorium bechna hai, phir dekho saanp jaisi hari chamdi waale noton mein soyoge.
Mittal - We will....Infact I will make you an actor in Bollywood. Think about all the fame, money, power, stardom. People dream of it, You will experience it. Just sign this Contract. You are just one signature away from Heaven.
Ashok maano putle ke saaman wahan khada huya tha. Munh se kuch bol nahi nikal rahe the. Par, uske doston ko jubaan ko abhi tala nahi laga tha.
Abhimanyu - Iss, Auditorium ke saath toh Jhuggi waale rehte hain.
Vishwa - Tod denge.
Ashok ki aankhon mein khoon utar aaya. Uske kaampte haathon ne Contract uthaya aur do bhaagon mein vibhajit kar diya.
Ashok - Auditorium....Baba ki aakhiri nishani thi.
Mittal ke kadam darwaze ki taraf chal pade.
Vishwa - Apni, Photo par haar taangne ki taiyari kar le.
Uday - Woh, nahi maanega.
Abhimanyu - Bulldozer pakka aayega.
Ashok - Humme, Morcha uthana hoga.
Jhuggi - Basti waalon ke saath mil kar, Ashok aur uske doston ke kadam, M&V Industries ki taraf badh gaye.
Dopahar ka sooraj, aasman mein chamakane laga tha. Dharna abhi bhi chal raha tha. Par, Mittal ki aankhein aur nahi dekh saktin thin.
Mittal - Hello, Police Station......
Vishwa ke kadam Industry ke Gate paar kar ke, Ashok ke saamne aa ruke.
Vishwa - Tera baap toh mar gaya...Saale, ab hume bhookhe maarega kya?
Vishwa ka haath ghuma aur Ashok ka munh surkh laal ho gaya.
Ashok - Main, paise ikktha kar ke tumhe de dunga.
Vishwa - Tere paas do Kidney hain.......Ek Bech de.
Ashok - Yeh, mere hak ki ladai hai. Par, main kutta nahi hun joh doosre kutton se apni roti ke liye cheena - jhappati kare. Hum, yahan tab tak baithe rehenge jab tak hume humara hak nahi mil jaata.
Vishwa - Toh, apne aap ko goli maar le beta. Kyunki, tera hak kab ka Minister dwara sign kar diya gaya hai...Tujhe, kya laga?...Sarkari zameen par, Illegal tareeke se Auditorium bana lega..Do din hain..
Ashok ki aankhon mein paani bhar aaya. Is se pehle uske dost usse, sambhalte Siren ki awaz se mauhal garam ho gaya. Police ke sipahi laathi charge karne lage. Logon, mein afra - tafri mach gayi.
Uday - Ashok, uth.
Ashok abhi bhi wahin baitha raha. Abhimanyu aur Uday kisi tarah usse utha kar laane mein kamyab huye.
Uday - Paisa...Corruption..Corrupt log apne Desh ke saath - saath khud ko toh bech hi chuke hain. Ab, toh Sarkar ko Casinos mein logon ko ek dusre ka cheer haran bhi karne dena chahiye. Apne, bacchon ko maar kar un par se School ka bojh khatam karna chahiye..
Abhimanyu - Shaant Reh... Dekh, Ashok tu apni Performance par dhyaan de. Yeh shayad tera aakhiri Show hai. Yeh, Show hum khaas Charity ke liye kar rahe hain. Apni, nahi toh un Jhuggi waalon ki toh kuch madad kar paayein.
Ashok - Yeh le...Auditorium ka kagaaz. Shayad, yeh mere se zada tere haath mein rehne ka hakdar hai. Darwaza toh band ho hi chuka hai. Ab, koi chabbi nahi chalegi.
Abhimanyu kuch bola nahi. Bas, usne apne dost ko gale se laga liya. Parda uth gaya. Aur, Ashok, Nirav ke character mein badal gaya. Natak shuru huya.
'Nirav Shah...Zindabad'
Nirav - Yeh desh kahan tha. Ab kahan ho gaya hai. Aaj ka Youth badal gaya hai. Aaj, Change ki zarurat hai. Main koi krantikari nahi hun. Par, apne jaise College ke liye meri hi zarurat hai. Main, vaada karta hun sabko sabka sampooran adhikaar milega. Ragging ki jad hi ukhad di jaayegi. Eve Teasing ko band kiya jaayega. Inn sab mein mujhe aap sab ki zarurat hai. Aur, aapko meri. Vote, mujhe hi dein.
Youth ki bheed mein naare aur zor lene lage.
Peter ke pair daudte huye, Nirav tak pahunche. Aur, Nirav ke kadam wahan se seedha, Hostel ke 400 kamre mein pahunch gaya. Kamra, Ransa ka tha.
Ransa - Aayie, Neta Sahab! Kya lenge? Whisky, ya Desi hi peeyenge.
Nirav - Kaam ki baat bhaunk.
Ransa - Toh, Neta Ji aaj ki taza khabar yeh hai ki aap Election se withdraw kar rahe hain. Youth ko garam khoon chahiye.
Nirav - Khoon hai? Toh bahao. Par, tum kyun bahaoge? Baap, M.P. hai. Paise de kar Election jeetoge. Tere, Election jeetne par kuch nahi hoga. Cheating badhegi. Eve Teaser, Canteen mein chai ki chuskiyan lagayenge. Tu khud ek problem hai..Apne, Corrupt baap ki tarah.
Ransa - Mere, paas Maa hai.
Ransa ne jeb se bandook nikal, Nirav par taan di. Ek dhamaka huya. Aur, Nirav ka shareer shaant sa zameen par gir gaya.
Nirav ka Role kar rahe Ashok ka shareer sunn sa zameen par pada raha. Darshakon mein taaliyon ki awaz aur gehri hoti chali gayi. Ransa ka role, Play kar rahe Actor ke chehre par hawayein udne lagin...Ashok, ki Shirt se beh kar, Stage laal ho rahi thi...Abhimanyu, bhaga huya Stage par aaya...Ashok ke paas padi goli ko dekh kar woh sab mazra samajh gaya.
Abhimanyu - He is Dead........Tu, ghabra mat tujhe kuch nahi hoga. Tune, isse nahi maara.
'Ram Naam Sat Hai' ke naare sadak par gunz rahe the. Ashok ki laash lete huye, uske dost shamshaan ki taraf jaa rahe the. Abhimanyu ki aankhon mein sab se zada ansu the. Apne, Dost saman Bhai ki arthi woh kandhon par utha ke le jaa raha tha.
'Rukiye, aap aage nahi jaa sakte.'
Abhimanyu - Jee, hum shamshaan jaa rahe hain.
'Wapis, mud jaayie Sahib! Mr. Mittal ki Car yahan se guzarne hi waali hai..Aaj, woh apni Company ki Franchise launch karne jaa rahe hain.'
Uday - Ab?
Ashok ki laash ko waapis, auditorium ki stage par laa kar rakh diya gaya.
Abhimanyu - Aaj, aakhiri show dekh lo.
Abhimanyu, Seat par jaa kar baith gaya. Itne, mein jhuggi waale, Ashok ki laash par aa kar phool barsane lage.
Abhimanyu - Woh, mar chuka hai.
'Humare, liye toh Devta hai Sahab. Hum logon ko naye ghar diye jaa rahe hain. Sab, aap logon ke chande ki wajah se.'
Abhimanyu - Meri, nahi...Sirf, uski wajah se...Ab, tum log jaayo, Bulldozer kisi bhi pal yahan aa sakta hai..
Uday - Main, bhi rukta hun.
Abhimanyu - Tu, nikal...Main kuch der yahan akela baithna chahta hun.
Uday aur Jhuggi waale chale gaye.
Abhimanyu, Stage ki taraf aaya aur Ashok ki laash ko gale laga rone lage.
Abhimanyu - Maaf, karna Dost...Khoon se range inn haathon se antim sanskar kar raha hun. Apne, haathon se tere sapnon ka gala ghont diya.
Abhimanyu ne, Lighter nikala aur Stage par aag laga di. Aankhon mein ansu liye woh darwaze ki taraf chal pada. Jalti chita ke saath, Ashok ke armaan bhi dhuaan ban kar ud rahe the. Bulldozer ki awaz paas aa chuki thi.
The End!
B for
Blessings
Location: Sri City, Andhra Pradesh,
India.
Parag, an innovative Indian author is feeling
cheated by life after constant failures due to a low fan base and consistent
dose of ‘Inferiority Complex’ supplied by his counterpart, a successful
novelist Kulesh. Parag used to ghost write for Kulesh, but after not getting a
fair chance, he left to make it on his own. Kulesh used his status and ‘reach’
making sure that Parag’s writing career never meets a Publishing House. Since,
then Parag has been reduced to write for Jagrata/Bhajan Singers (Indian Singers
who sing Religious songs dedicated to Indian Gods/Goddesses). Carrying a
vengeance in his mind, Parag wants to bring down Kulesh and take away his
popularity and stardom.
Parag contacts his Uncle, who works as a
Rocket Scientist in Sriharikota, a barrier island off the coast of the southern
state of Andhra Pradesh housing India's only satellite launch centre ‘Satish
Dhawan Space Centre’. After forming a plan, Parag visits Kulesh’s house
disguised as a salesman. He shows Kulesh, a newly developed Chloroform that
affects a person by making them stay unconscious for a period of 48 hours.
Parag chloroforms Kulesh by pretending to show him a practical demonstration.
Parag was happy that he had his rival on his
mercy. On his way to the space centre, he experienced continual outbursts of
killing Kulesh right there. But feeling that he should be a better human, he
controlled his urges. Parag’s Uncle was delighted to see Parag. Uncle wanted
the job to be done fast because they had limited time until the staff came back
after viewing a 5 hour movie marathon created by Uncle showcasing clips of
various space disasters of countries like Russia, Ukraine, and Iran.
Uncle – “Hurry Up! I have warmed up the
engine of the rocket. Let’s blast him off to Sun!”
Parag – “I don’t want to live the rest of my
life feeling guilty about killing a man whose body is drifting in infinite pits
of space. We are going to properly attire him in an Astronaut uniform, place
him in the satellite, set the rocket to ‘Auto – Pilot’ and let him wander off
to wherever the rocket feels like.”
Parag and Uncle were successful in their
plan. After a week, the headline of the newspaper read, “Kulesh cashes jackpot
after discovering a new planet!” Parag quickly phoned his Uncle to find out
what was happening.
Parag – “Yo, Uncle! How did Kulesh come back
so quickly? Did he get captured by aliens and they came back to Earth posing as
Kulesh? Did Kulesh discover a black hole and got cosmic powers allowing him to
rewrite the world as he wishes?”
Uncle advised Parag to turn T.V. to any news
channel. Kulesh’s interview was being broadcast live, covered on every major
news channel.
Kulesh – “I have a small interest in space
research. So, I constructed a rocket on my terrace and used it as a launch
site. Then, I made my twin brother the official astronaut. I am thinking of naming
the planet, ‘Kulaisaa’. How does that sound? ”
Parag called back Uncle to understand the
situation.
Uncle – “Kulesh’s twin brother is his ghost
writer. Apparently, you kidnapped his ghost writer. We sent the wrong guy into
space. The ghost writer’s rocket crash landed on a new planet, but he survived.
Then he sent help signals back to our space stations. Now, a rescue satellite
has been deployed to bring him back. Next time when you kidnap someone, please
do it with the, Blessings of an F***ed Up Indian Ghost! So, I achieve some
benefit too and maybe get a chance to discover some new planets or asteroids
about to collide with Earth giving me a chance to destroy them with my Superman
equipped laser beams.”
Parag had accidently kidnapped and sent
Kulesh’s ghost writer into a profitable journey to Kulaisaa. Kulesh had gotten
himself a new ghost writer after Parag’s departure and even costumed him up
creating a mirror image of Kulesh. Parag and Uncle’s hard work turned out to be
a gift for Kulesh with, “Blessings of an F***ed Up Indian Ghost!”
The End!
E
for Economy
Location: Bokaro Steel Plant,
Jharkhand, India.
The results of the first ever ‘Miss Economy’
contest were about to be announced. The contestants were mainly from Upper –
Class families.
Announcer – Sorry for any inconvenience
audience. Due to budget cuts we were forced to hold our unique ‘Economic
Pageant’ at an unequally ordinary, chemical filled environment, coated with
masculine sweat, the Bokaro Steel Plant plus they were the only sponsors we
could find. Our managers have requested to kindly donate any clothing item to
pay off the microphone, sound, light, and stage expenses….To get you all to
cooperate we have told the laborers to increase the heat by doing more
metalworking….So, you may have noticed the temperature has increased to 27.9
Degree Celsius…..On the plus side you all got to watch free fireworks and
suffer from heat waves caused by the blast furnaces throughout the show. Now
the first ever ‘Miss Economy’ is………………..
“Wait! I object to the name your voice box is
going to play.”
Announcer – This is not for promotion
purposes audience. We never planted any failed actress amongst you. Miss, would
you come on the stage!
The woman walked on the stage and was given a
microphone.
“Hi, my name is ‘Miss Jharkhand’! I would
like to win the title of ‘Miss Economy’ because I am a ‘Beauty with Duty’. I am
the living embodiment of Jharkhand’s economy. Neither High nor Middle and not
even Low, my Economic class is Poverty. I am a member of a society where my
caste has alienated me. But I have no regrets. We poor make a bulky unemployed
family. As a child my mother could never buy me expensive frocks/skirts, she
always hand stitched various clothing layers found in bacteria ridden garbage
bins. My mother, my idol dried and sold cow dungs. Watching her I tried to get
an exceptional education in any affordable Public School. Dirty life forced me
to eat from dustbin, drink from sewer line, and bathe in acidic gutters. I
slept with my mother on a concrete floor. Once, after getting bitten by
‘Monsoon’ mosquitoes I became a carrier of Malaria. We could not afford the
medicine. So, my mother bought a packet of ‘Good Night’ (Mosquito Repellent
Bars) and fed me a small bar from it. Never experienced the touch of princess
dolls, my hands have always played with broken shards of glass, hammer, and
nails. I am a member of the world with no taxes, laws, or monarchy. My poor
brothers and sisters add to this country’s population. In this way our country
can gain sympathy from developed nations. I may not be a model but I represent
the never ending crisis of India’s journey.”
Judge – Waaaaaaaaaaaaah! I crown the ‘Miss
Economy’ title to ‘Mother India….Oh…I mean ‘Miss Jharkhand’. She will be
awarded a lifetime opportunity to work and degrade the economy of Andaman and
Nicobar Islands.
A group of celebrating youth creating loud
noises barged into the spectators and started dancing.
Judge – Waaaaaaaaaaaaaht? Announcer since we
could not afford security, you go wrestle these bodybuilders and throw them
out.
Miss Jharkhand stopped the already shivering
announcer and spoke on the microphone.
“Sir, these are my supporters who live with
me in the nearby ‘Chawls’. They are also unemployed. But they have created
excellent bodies by working as Stuntmen in various Regional and some Bollywood
movies. It would be extremely supportive of you to host a Bodybuilding
Competition for this group to participate in. You are saving a lot of money by
gifting me a cheap visit to Andaman and Nicobar Islands, one of the Union
Territories of India. So, they can be easily distributed in developing
countries such as Nepal, Bangladesh, Zimbabwe, Africa, Uganda, and be provided
with citizenship.”
The judge became speechless.
The End!
P
for Poem
टूपी
- टूपी,
टप
- टप!
नील शर्मा के एडिटर दोस्त आये,
'नमस्ते!' बोलते ही ठंडा - गरम खाने को जीभ लप लप हुए जाए.
अब पूछेंगे सब का बायोडाटा,
अरे, कोई समझायो इन्हें, खुद का लड़का पांचवीं फेल फिर भी दूसरों का ही छापना होता है परचा.
फटाक से बोल पड़े, "कहाँ है आपका छोटा बेटा?"
"जी, वो कविता लिख रहा है", आया जवाब,
"उसकी उम्र क्या है?"
"अभी ६ के हुए हैं छोटे नवाब!"
"क्लास में भी आता है फर्स्ट या कविता लिखना ही है उसका इंटरेस्ट?"
'नमस्ते!' बोलते ही ठंडा - गरम खाने को जीभ लप लप हुए जाए.
अब पूछेंगे सब का बायोडाटा,
अरे, कोई समझायो इन्हें, खुद का लड़का पांचवीं फेल फिर भी दूसरों का ही छापना होता है परचा.
फटाक से बोल पड़े, "कहाँ है आपका छोटा बेटा?"
"जी, वो कविता लिख रहा है", आया जवाब,
"उसकी उम्र क्या है?"
"अभी ६ के हुए हैं छोटे नवाब!"
"क्लास में भी आता है फर्स्ट या कविता लिखना ही है उसका इंटरेस्ट?"
"जी, उसे तो ना द्राविड या दादा बनने की है चिंता...
लोलीपोप मुंह में दबाये लिखता रहता है कविता!"
"यह तो हो गया ज़ाकिर हुसैन वाला 'वाह'!"
"जी, काहे का वाह, कविता लिख - लिख १० - १५ कापियां हैं भर डाली..
और, प्रेशर के टाइम में भी कॉपी उठा कर चला जाता है शुरू करने पानी का प्रवाह...
अब, नितिन को कौन समझाए...
गिल्ली - डंडे से किसी की आँख न फोड़े, ना पतंग के पेचे लड़ाए!"
"शर्मा इतना भी मत बनो शय - शय,
तेरे घर फरहान अख्तर है बैठा,
फिर भी तुझ जैसा जावेद युस ना करे दया,
अब, तू मस्त होकर पि बौर्न - विटा,
कल, तेरी तन और मन की शक्ति बढ़ाएगा वाई - फाई."
रविवार के दिन ६ बजे ही नील शर्मा के घर इक्कठा हो गया मीडिया,
शर्मा जी, ने दरवाज़ा खोला और मीडिया को भगाने का ढूंढने लगे आईडिया.
"यहाँ, लंगर होने वाला है या है यह भक्तों की टोली,
थोड़े कूल - कूल होकर आयो, बाथरूम जाने की मेरी अब आई है बारी!"
मीडिया वालों ने खुला दरवाज़ा देख कर अन्दर धावा बोला,
बम - बम बोलते उनके पीछे जा रहे शर्मा जी का दिल रिंगा - रिंगा डोला.
लो, जिस महान पोएट को ना जगाने के लिए शर्मा साहब सबको इशारा कर रहे थे की बोलो आहिस्ता....
उस नितिन शर्मा ने तो शुरू कर दी थी अपनी कविता.
अब, शुरू होंगे मीडिया के सवाल,
नील शर्मा जी के लाल - लाल हुए जाएँ गाल.
इससे, पहले पूछा जाता कोई सवाल..
नितिन ने मुंह में डाल लिया लोलीपोप, और बोला.
"ओ अंकलों मुझे किड्नाप करने आये हो?...जल्दी, करो पर पहले मेरा स्कूल बैग उठा लो!"
"बेटा, इमरान का करियर लुटने के बाद, आमिर ने हम से रनबीर की किड्नापिंग की शपथ है खिलवायी....
तुम्हे कविता लिखनी कबसे आई?"
"ऐसे, बेतुके शब्दों को फिर से जोड़ कर अगर बनाया तुम अंकलों ने सेंटेंस...
निरूपा रॉय की कसम, तोड़ दूंगा तुम्हारे तेलेविसीन सेट कूद के तुम्हारी फेन्स!"
"मगर....."
"कविता के बारे में जानना ही है तो लोलीपोप का लायो डब्बा..
साइड, हटो मुझे जाने दो बाथरूम विद माय water डब्बा!"
नितिन की लोलिपोपों की लोटरी लग गयी,
और फिर नितिन बोल ही उठा...
"अरे, अंकल्स कविता मेरी poem का नहीं मेरी गर्लफ्रेंड का नाम है...
ये, आदात मुझे मुकेश भैया ने है डाली,
क्यूँ की उनकी गर्लफ्रेंड का नाम है दीपाली.
पर, आप लोगों ने मेरी लोलीपोप की लोटरी लगा दी,
लो, एक कॉपी ले जायो,
इस में मैंने कविता है भरी हुयी,
अगली, बार आयोगे तो ले के आने तंदूरी नान के साथ चिकेन बिरयानी!"
S
for Suffering
Lallu Lulu and his assistant Cheeku, a
team of untrained Indian ‘Hazmat’ Workers were urgently dispatched to
quarantine a village after it got struck by a pandemic.
Lallu – Is the radius clear?
Cheeku – Yes, sir we quickly got all
of the villagers out of the area. Currently they are being vaccinated; moreover
we found the source of this unknown disease to be the well of the village which
serves as the main water site.
Lallu – So, it can be a broken sewer
line or maybe a bird’s waste droppings that contaminated the water.
Cheeku – Sir, look…………..!
Cheeku spotted a villager lying on a
charpoy coughing constantly.
Lallu – Approach with care, it can be
a mirage created by the bacteria/virus ridden environment to infect us.
Lallu and Cheeku carefully walked
towards the charpoy and started staring at the villager.
Lallu – He seems to be alive. Quick
give him ‘Mouth – to – Mouth’ before we lose him.
Cheeku – Haaaaaaaaaaaa……..
“Fuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu………..Fuuuuuuuuuuuu……..”
Cheeku – Aye, don’t give me this
inappropriate language right now. This is a question of our promotion and your
safety. Now open wide. Say, Haaaaaaaaaaaaaaaaa………..
“Ahhhhhhhhhhhhhhhhh…….You
are kneeling on my privates…..Fuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu……………”
Lallu – Wait! His heart rate is
falling down, pulse is decreasing, and body temperature seems to be rising…..We
are losing him…Quick, give him ‘C.P.R.’!
Cheeku – Sir, I don’t know how to
‘C.P.U.’! But, I brought this fire extinguisher with me from our van. If you
want I can Fuuuuuuuuuuuuusssssssshhhhhhhh him.
“Fu….Fuuuu………….
Fuuuuuuuuuuuu……………..”
Cheeku – Sir, you have the ‘Right to
Know’ that he is pointing towards you to come closer to him.
Lallu kneeled closer to the villager.
“Fuuuuu……..Take
Ofuuuuuuuuuuu Your Clothes……..Fuuuuuuuuuuuu…”
Cheeku – Sir, maybe you should……..
Lallu – Shuuuuuuuuuuuut Up
Cheeku……This dying man wants to feel the warmth of human flesh before he coughs
his last breath.
Lallu quickly took off his hazmat suit
and took the man’s hand into his hand. Suddenly, the villager tightened his
grip and spat on Lallu’s face.
“Thuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu………………..”
Lallu – Huuuuuuuuuuuunh! Why did you
give me your saliva sample? We could have extracted that during postmortem.
“Looooooooooooks like you
didn’t recognize me….I am your old assistant, Kallu. We had an internship in
Honolulu. You caused a massive leak at the chemical plant destroying an ancient
forest full of sacred animals and mountains worshipped by local residents. You
blamed me for the disaster and came back to India. When you were continuing
your Hazmat career over here, I was sentenced to a 7 month community service in
which I had to clean up sewers full of toxic waste. After getting demoted back
to India, I spent several years searching you. In this long hiatus I picked up
various diseases through mosquito bites, eating pig meat, eating chicken with
pig meat, and by transferring blood from dead bodies of beggars into my veins.
Since then I have wandered villages of different states, wiping their existence
from the map. Finally, I have found you and I have made you a carrier of
diseases with mixtures of deadly viruses and bacteria. Now Fuuuuuuuuuuuuuuuuuk
off………..”
Z
for Zzzzzz
A war starts between two opposing
nations titled ‘A’ and ‘B’. A has low experience and is unskilled in fighting
wars, unlike B who is a master killing machine. A is quickly losing its
infantry units and other defenses on the battlefield.
“General, we have lost our air strike”,
Screamed the soldier shivering in fear,
“Sir, enemies have penetrated our last line
of defense”,
Shouted the soldier whose hanging hamstring
was about to tear,
“We have run out of medicinal supplies”,
Said the soldier with bullet stuck in his
rear,
“Sir, take action now”,
Fearing death as enemies approached near,
General shot himself spreading waves of fear.
Captain’s brain lighted,
He set up a wall of loudspeakers and shouted,
“Troops, plug your ears,
if you survive I will wipe off your tears.”
Pop girl music got unleashed from
loudspeakers,
“Oh Baby, I am coming from you....,”
Enemy infantry started panicking in their
sneakers.
Soon, Side B had committed suicide,
Making Side A Captain proclaim,
“We may hide behind women and become
terrified,
But this is a nation where victors reside.”
The End!
Rating - 51/100
Entry Eligible for Multiple Genres Listed in Theme Bonus: Plus 5
Final Rating - 56/100
Judge's Remarks
इसमें छः रचनाएँ हैं, इनकी Marking, my rating style is a bit different:
Actors (30, इसको सबसे ज्यादा weightage दिया है क्योंकि ये आपकी सबसे लंबी रचना है): Concept अच्छा है, पर कुछ चीज़ें सुधारी जा सकती थीं. जैसे donation/ social cause पर काम करने वाले बच्चे एक कुत्ते की हत्या नहीं करेंगे, ऐसे cruel बच्चे social काम नहीं करते. और फिर joy ने इस प्ले में क्या खास एक्टिंग करी कि इतनी तालियाँ बजीं? अभिमन्यु का पात्र अच्छा है, आकाश के पात्र में जान नहीं है. वो दुश्मन के सामने धरने में रो रहा है!!! थोड़ा तो टफ होते है धरना करने वाले. सीन लिखते वक्त थोड़ा लोगों कि सोच पर ध्यान दो. अभिमन्यु का दोस्त आकाश मर रहा है और उसे चिंता उसकी ज्यादा होती दिख रही है जिससे गोली चली. फिर भी इस कहानी का सस्पेंस अछ है, ट्रेजिक एलेमेन्ट भी ठीक-ठाक है. Concept is good u can re write and make it a fantastic story. Score: 12/30 (40/100)
Blessings (14): Be Careful with words. Author भजन/गाने क्यों लिखेगा. ये काम lyricist या song writer ka hota hai. कहानी थोड़ी बचकानी है. terrace पर रॉकेट लॉन्च होना. सेल्समैन Chloroform बेचेगा तो उसे घर में कौन घुसने देगा? और ये जानते हुए कि बेहोश हो जाऊंगा, कौन अनजान सेल्समैन से खुद पर experiment karayega. ऐसे दिखा सकते थे कि वो कुलेश को किसी गलत काम के लिए वो दवा बेचने आता है, और फिर उसे झपट कर बेहोश कर देता है. Score: 4/14 (29/100)
Economy (14): मिस झारखंड का भाषण अच्छा है. खासकर malaria की दवा की जगह गुड नाईट बार खाने वाली बात. बाकी कहानी अटपटी है, but it’s humorous. Score 7/14 (50/100)
Poem टूपी - टूपी, टप - टप! (14): कहानी से ज्यादा आप कविता अच्छी लिखते हैं... और लिखते रहिये. ले तो अच्छी है, थोड़ा मेसेज भी मिले पाठकों को तो और भी अच्छा लगेगा. Score 10/14 (70/100)
Suffering (14) good humour. पढकर मजा आया. बदला लेने का अनोखा तरीका है... थोड़ा यकीन कम ही आया पर enjoy किया. डायलोग अछे हैं. 8/14 (57/100)
ZZZZ (14) good poetry once again. 10/14 (69/100)
so total 51/100
Result - Mr. Kapil Chandak wins the match and qualifies for semi finals. Mr. Karan Virk is eliminated from Freelance Talents Championship but is eligible for combined final playoff match against Miss Ranjana Sharma & 2 other eliminations from Quater Finals. to decide fifth, sixth, seventh and eight spots out of 311 Authors.
Judge - Mr. Shubhanand (Author - Rajan Iqbal Reborn Novel Series, total 6 Novels till date)
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