खून का क़र्ज़
"बेटा, यह तुम्हारी ज़िंदगी की सबसे महत्वपूर्ण दौड़ है. अगर साँस भी थम जाये ना तो तुम्हारी लाशफिनिश लाइन के पार गिरनी चाहिए!"
हाँफते हुये चीकू खरगोश बस इतना ही बोल पाया था. उसकी आँखे अभी भी अपने ज़ख़्मी बेटे कोताक रही थीं. चीकू के बेटे मोंटी की चीखें, तेज़ गति से बढ़ रही ट्रैन की आवाज़ में दबती जा रही थी.अपनी खून से लथपथ टाँग को पकड़ मोंटी रेंगता हुआ पटरी पर पहुँचा लेकिन उसके कुछ करने सेपहले ही मोंटी के शरीर पर खून के नये धब्बे लग गये. यह खून उसके बाप का था.
अगली सुबह कोरागढ़ जंगल के अखबार सिर्फ एक ही खबर को दिर्शा रहे थे, "रनिंग चैंपियन मोंटीखरगोश के पिता का रेल दुर्घटना में देहांत हो गया!" "सालाना दौड़ प्रतियोगिता से पहले ही मोंटी कोलगा गहरा सदमा!" जंगल के हर कोने पर मोंटी की चर्चा हो थी. आने वाली दौड़ पर कोरगढ़ काभविष्य निर्भर कर रहा था. कोरगढ़ में हर साल एक दौड़ प्रतियोगिता से जंगल की उत्तराधिकारीपार्टी का निर्णय किया जाता था और इस साल जंग काले और भूरे भालू पार्टीयों के बीच थी. कुछ हीमहीने पहले आये काले भालुओं ने जंगल में उधम मचा रखा था. उनसे परेशान हुए सभी जानवरइसी उम्मीद में थे कि इस रेस को भूरा भालू पार्टी ही जीते और चूँकि मोंटी भूरे भालुओं की तरफ सेदौड़ रहा था, उसके दुःख से पूरा जंगल गमगीन हो चुका था. यहाँ तक कि डिटेक्टिव लोकी भेड़ियाभी.
लोकी भेड़िया - "खून तो हुया है!"
लोकी के कठोर स्वर से ही पेड़ के नीचे खड़े तीनो कूकू चिड़ियों की घिघ्गी बंध गयी. कोरागढ़ कीपंछी कॉलोनी के अध्यक्ष हँसा कबूतर को उसके पेड़ के कोटरे में टूटे हुये अंडे मिले थे जिसकीछानबीन के लिए लोकी भेड़िये को बुलाया गया था. लोकी के कुछ और बोलने से पहले ही हँसा कीजोड़ीदार हीना कबूतरी चिला उठी.
हीना कबूतरी - "अल्लाह कसम. मेरे बच्चों के सामने खून - ख़राबे की गुफ्तगू मत कीजिये।"
लोकी भेड़िया - "हीना जी आप अल्लाह से एक दर्जन कजरा माँग कर अपनी आँखों में भर लीजियेऔर मुहब्बत से देखिये कि आपके बच्चों के कातिल तीनों कूकू हैं."
लोकी ने समझाया कि कूकू चिड़िया अक्सर दूसरे पंछियों के घोंसलों में अंडे दे जाती हैं और उनपंछियों के अंडे तोड़ देती हैं और वो पंछी नादानी में कूकू के बच्चे पालते रहते हैं. यह सब सुन करवहाँ उपस्थित हँसा कबूतर और बाकी के पंछी आगबबूला हो उठे और तीनों कूकू चिड़ियों की पिटाईशुरू कर दी.
अपने पिता की चिता का गम मोंटी खरगोश को अंदर खाए जा रहा था. अपने घर में बैठा वो एकगहरी सोच में डूबा हुया था.तभी दरवाज़े पर हुयी एक दस्तख से उसकी सोच टूटी. लोकी भेड़िया मोंटीको मिलने आया था.
लोकी भेड़िया - "तुम्हारे पिता के बारे में सुन कर बहुत दुख हुया। वो मेरे काफी गहरे मित्र थे. शायदउन्हे कोई गम खा रहा था."
लोकी की बात सुन मोंटी के चेहरे का रंग उड़ गया. इस से पहले वो कुछ कहता लोकी पुन बोल उठा.
लोकी भेड़िया - "सुना है तुम नये घर में शिफ्ट हो रहे हो, वो शेर नगर के सेक्रेटरी बता रहे थे तुम्हारीफ्लैट बुकिंग के बारे में. लेकिन इस घर में क्या खराबी है यार? महंगा फर्नीचर है, नया बड़ा टी.वी. हैऔर ये डाइनिंग टेबल पर क्या है. इम्पोर्टेड गाजरें, सही है. खुश्बू से तो जापानी लगती हैं. साथ मेंवो नहीं है, वो काला भालू कोट? सर्दियाँ आ रही हैं ना, तो ठंड में भी काम आएगा और रात के अँधेरेमें भागने के भी."
मोंटी खरगोश - "वो.…मैं.....वो.…बापू को....."
लोकी भेड़िया - "काश मेरा भी बाप होता यार, उसे मार कर एक चित्रहार वाला टी.वी. तो मिल हीजाता या एक चीनी क्रॉकरी सेट. हर सुबह उठ कर चाय में उसकी अस्थियाँ मिला कर उसकी वो जोफूल वाली फोटो होती ना, उसके साथ चाय के चियर्स का मज़ा ही आ जाता। लेकिन हम में और तुममें फर्क है बेटा, मुझे चाय की चुस्कियां लेनी है और तुम्हे अपने बाप के खून में डूबी हुयी गाजरें खानीहैं."
मोंटी खरगोश - "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी, मुझे ही अपने बाप का कातिल कहने की.”
लोकी भेड़िया - "बेटा, मैं अकेला भेड़िया ज़रूर हूँ पर मैं भूखा हूँ उन भेड़ियों के लिए जो भेड़ खाल मेंछुपे मेरे जंगल की तरफ आँख उठाते हैं. तुम्हारे और काला भालू पार्टी के बीच जो अब तक कावर्तलाप चल रहा है, उसके पुख्ता सबूत हैं मेरे पास."
लोकी की दहतकती आँखे देख कर मोंटी ने कबूल कर लिया कि उसने रेस हारने के लिए काला भालूपार्टी से पैसे लिए थे और जब चीकू को यह बात पता चली तो उसने अपने बेटे की गद्दारी को देखकर मौत को गले लगा लिया।
लोकी भेड़िया - "कल रेस है और अगर तुमने इस जंगल साथ कोई धोखा करने का सोचा तो तुम्हारी चिता को मैं जलाउंगा।"
सुबह हर एक जानवर में रेस का डर और उतसाह बराबर फैला हुया था. लेकिन एथलिट कक्ष में बैठे मोंटी में डर के लक्षण कुछ ज़्यादा ही अधिक थे. तभी किंग कोबरा, काला भालू पार्टी का कार्यकर्त्ता, मोंटी के कक्ष में घुसा और उसे देख मोंटी झट से खड़ा हो गया.
किंग कोबरा - "ज़हर - ज़हर को काटता है मोंटी, तूने अपने ईमान को डसा और भालुओं ने मुझे भेज दिया तुझे डसने।"
मोंटी खरगोश - "तुम.… पहरेदारों को.… मार दिया"
किंग कोबरा - "सबके ईमान ज़हरीले होते हैं मोंटी! पहरेदारों को पैसे ने डस लिया और तुझे मैं डसूँगा। देखते हैं कौन ज़्यादा ज़हरीला है, मेरा हलाहल या तेरा अपने बाप को मारने वाला खून!"
एक पल में ही किंग के दाँत मोंटी की गरदन में समा चुके थे और मोंटी का तड़पता शरीर ज़मीन परजल बिन मछली की तरह छटपटा रहा था. मोंटी को मौत की कसौटी पर धकेल कर किंग कोबराचला गया. रेस की घोषणा हुयी और लड़खड़ाता मोंटी मैदान में पहुँचा, उसकी गरदन में जलन बढ़तीजा रही थी. पॉंव बुरी तरह से काँप रहे थे, आँखों के आगे अँधेरा छा रहा रहा था लेकिन मोंटी कोसामने सिर्फ एक ही लक्ष दिख रहा था. दौड़ शुरू हुयी और अपनी पूरी ताकत लगा कर मोंटी दौड़ा,वहाँ उपस्थित दर्शकों का शोर उसके कानों तक पहुँचना बंद हो चुका था. अंधी हो रही आँखें फिनिशलाइन के पीछे अपने पिता को देख रही थीं.
मोंटी खरगोश - "बाबा मेरी धड़कन खत्म होने ही वाली है. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना!"
मोंटी का दिल आखिरी बार धड़का और उसका शरीर फिनिश लाइन के पार जा गिरा। इसी के साथहर्षोउलास भरी भीड़ मोंटी को अपने कंधों पर उठाने पहुँचे पर मोंटी को देख पूरा वातावरण शाँत पड़गया. मोंटी की लाश उनके चार कंधों का इंतज़ार कर रही थी!
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खून का क़र्ज़ by Behnam Balali and Karani Virk
Rating - 162/200
(Word limit penalty - Minus 8 Points)
Final Rating - 154 Points
Judge - Mr. Mayank Sharma
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