Thursday, June 27, 2013

Round 2 (Match # 16) - Prashant Vasava vs. Sankalp Shrivastava

 दुर्गा
 (Prashant Vasava)
 

आज रात चाँद पूरा खिला हुआ था। रात का खाना हो चुका था। हर रोज़ की तरह आज भी दुर्गा बरतन साफ करने घर के पिछे बैठी थी। ये उसका हररोज़ का काम था। माता-पिता की मौत के बाद वो और उसका छोटा भाई भोला अपने काका के साथ रहते थे। दुर्गाने सारे बरतन साफ कर दीए। सिर्फ दो चार ही बचे थे। इतने में ही किसीकी आवाज़ ने पूरे गाँव में खलबली सी मचा दी। "भागो... छुप जाओ....शेर गया।..."
और पूरे गाँव में भगदड सी मच गई।और फीर थोडी ही देर में शांति। सब अपने अपने घर में जा छुपे।और जो घर तक नहि पहोच पाये वो पास ही के किसीके घरमें घुस गये। गाँव में शेर का आतंक तो बरसों से था।मगर सरकार भी लाचार थी।हाल ही में सरकार की ओर से एक शिकारी भेजा गया था।मगर शेर उससे भी कहीं ज्यादा चालाक था।


किसीकी चिल्लाहटने रातका अंधेरा मानो चीर ही दीया। बाकी गाँव वालों का तो पता नहीं लेकीन एक दील मानो धडकना ही भूल सा गया! दुर्गा।आवाज़ भोला की थी।वो दरवाज़ा खोल के दौडती हुई आंगन में गई। सामने ही १५ कदम दूर भोला और शेर एक दूसरे के सामने खडे थे। ऑंखो में ऑंखे मिलाये! भोला डर से कांप रहा था। सहमी सी आवाज़ में वो सिर्फ "दीदी" ही बोल पाया। ईतना डरा हुआ था की रो भी नही पाया।
दुर्गाने मदद की गुहार लगाई।"काका.... काका... जल्दी आईए..."
उसने पीछे देखा। दरवाज़ा बंद हो चुका था।फिर से आवाज़ देने का मतलब नही था। वो जानती थी 'काकी उन्हें बाहर नहीं आने देगी।' शेरने उसकी और देखा और गुर्राया। मानो चेतावनी दे रहा हो 'मेरे और मेरे खाने के बीच आने की कोशिश मत कर लडकी...!'


रमेशकाका ने आवाज़ तो सुन ही ली थी।लेकीन वो बहोत ही डर गये थे। एक बार तो शेर के सामने चुके थे दुसरी बार जाने की उनकी हिम्मत ही नही थी। पहली ही बार का वो शेर से सामना... सारी घटनांए एक चलचित्र की भांति नज़रके सामने से दौड गई।


दो हफ्ते पेहली की ही बात थी। दोपहर का वक्त था और सभी लोग खेतों में काम कर रहे थे। तभी अचानक ही एक शेर प्रेतकी तरह धमका। सीधा लपका रमेशकी तरफ। मौत को समने देख आवाज़ भी गले में ही घुटके दम तोड चुकी। लेकीन तभी रमेश के बडे भाई और दुर्गाके पिताजी मोहनभाई बीजली की तरह लपके और रमेशको एक ओर धक्का दे दीया। किन्तु वो खुदको नहीं बचा पाये। शेरने उन्हें दबोच लिया।दुर्गा की मां राधाने एक भाला मारके अपने पति को बचानेकी कोशिश की मगर अपनी जान गॅंवा बैठी। मोहनभाई को मुंहमें दबोचे शेर वहां से भाग खडा हुआ। एक ही पलमें दुर्गा और भोला का संसार उजड़ गया। रमेश वहीं पर खडा खडा बस देखता रहा था।
आज भी वही घटना फीर से दोहराई जा रही थी। और आज भी वह एक कायर की तरह ही पीठ दिखाये खडा था। उसकी आत्मा ने आवाज़ लगाई 'कायर' वो बेचेन सा हो उठा। तभी उसने एक फैसला कीया। वो दरवाज़े की और बढा। मगर उसकी बीवीने उसका हाथ थाम लीया,"कहां जा रहे हो??? मरतें है तो मरने दो! हमारा क्या जाता है? वैसे भी बोझ है हमारे उपर!"


रमेशने शांत स्वरमें कहा," अगर उस दिन भैया और भाभी की जगह में मर गया होता तो अच्छा होता! कमसे कम बच्चों के पास उनके माता-पिता तो होते? ना की एक शेठ और शेठानी।" सरिता ठिठक सी गयी। उसने रमेशका हाथ छोड दीया। वो समझ गई। रमेश उसे बॉंझ होने का ताना मारते हुए दरवाज़ा खोल के बाहर निकल गया।


बाहर तीनों ज्यों के त्यों खडे थे। शेर अभी तक भोला पर नहीं लपका था। रमेशने आंगन में नज़र दौडाई। कोने में पडी कुल्हाडी को हाथ में उठाये वो चिल्लाते हुए शेर की और दौड पडा। पर चार कदम पर ही उसे खयाल आया की कुल्हाडी का तो सिर्फ हत्थाही था हाथ में! कुल्हाडी तो वहीं अभी भी कोने में ही पडी हुई थी। जिसे शाम को उसने मरम्म्त करनी थी। वो बूत बना वहीं पर खडा रह गया। शेर ने उसे देखा और गुर्राया। कुल्हाडी का हत्थाभी उस्के हाथों से छुट गया। उसके हाथ पॉंव कांपने लगे। शेर फीर से उसे देख गुर्राया और फिर भोला को उठाये खेतों से जंगल की ओर भाग गया।


उसके जाते ही रमेश फूट फूट कर रो पडा। "में कायर हूं। में कायर हूं।" वो चिल्लाने लगा।


मगर दुर्गा उसके पीछे दौड पडी।
खेत खत्म हो के जंगल जहां से शुरु होता था वहां पर दुर्गा को गॉंव का ही एक आदमी मिला। उसने बताया," हम कुछ लोग शिकारी बाबु शेर का पीछा कर रहे थे। लेकीन तभी जाने वो कहां से हम पर झपट पडा। शिकारी बाबुका तो वहीं दम निकल गया। पर हम अपनी जान बचा के वहां से भाग खडे हुए।"
"आपने यहां से एक शेर को नीकलते देखा?" दुर्गाने पूछा।
"हां,वो उस ओर गया है। मगर उसके मुंह में कोई भेड़ जैसा कुछ था।"


"वो भेड़ नहीं, भोला था।" दुर्गा उसी दिशामें चल पड़ी।
चाँदनी रात में वो पंजो के निशानों का पिछा करते हुए सावधानी से आगे बढने लगी। थोडे ही आगे उसे शिकारा शव दिखा। शेरने उन्हें नही खाया था। पर वो झिंदाभी नही थे। दुर्गा डर से कांप उठी। मगर ये वक्त डरने का नहीं था। क्योंकि वो जानती थी अगर उसने भोला को ढूंढने मे देर लगायी तो उसका भी यही हाल होना था। दुर्गाने शिकारी की दो नली वाली बँदूक उठायी और आगे चल पडी।
शेर की कान के परदे चीर देने वाली एक गर्जना ने सारे जंगल को देहला दीया।


थोडी देर आगे चलने के बाद दुर्गाको सामने ही उसका भाई पडा मिला। वो दौडके उसके पास पहुंच गयी। भोला अभी भी होश में था। हालांकी शेरके दांत उसकी कमर पे गडे थे तो खून बेह रहा था। और दर्द भी हो रहा था। लेकिन भोला में ईतनी ताकत नहीं बची थी की गला फाडकर चिल्ला भी सके। उसने धीरे धीरे बताने की कोशिश की," मैंने शेरकी ऑंखमें अपने नाखून गडा दीये तो उसने मुझे तुरंत ही पटक दीया। दीदी घर चलो..."
"हे माँ"दुर्गा के मुंहसे निकल गया। 'शेर अभी झ़ख्मी था। और झ़ख्मी शेर से ज़्याद खतरनाक इस दुनिया में और कोई जानवर नहीं होता।'
वो भोला को उठाकर चलने ही वाली थी की शेर सामने खडा हुआ। उसकी एक आँख फूट चुकी थी। मगर काणा तो काणा शेर शेर होता है। बंदूक कंधे पे टिका के दुर्गाने घोडा दबा दीया। वो पेहली बार बंदूक चला रही थी सो बंदूक के बारे में उसका ज्ञान ज़्यादा नहीं था। अतः झटके के कारण कंधे की हड्डी खिसक गई। और वो खुद पांच फूट पीछे उछ्ल गई। दर्द सेह नहीं पायी, चिल्ला
उठी। पूरा जंगल उसकी चिखों से भर गया।


शेर धीरे से उसकी ओर बढने लगा। अंत आँखो के सामने था। मगर फिर भी हारना उसे गँवारा था। बंदूक के ही सहारे वो फिर दे खडी हो गई। अभी भी अंदर एक गोली थी। लेकीन 'चलाऊं तो चलाऊं कैसे?' इसी असमंजस में खडी दुर्गा पर शेर ने छ्लांग लगा दी। दुर्गाने एक ही हाथ से नाल शेरके मुंह मे घुसेड दी। लकडी का हत्था उसने छाती पे रखा और घोडा दबा दीया। अगले ही पल शेर का भेजा बाहर गया। दुर्गाभी ज़मीन पर गिर पडी। छाती की हड्डी टूट चूकी थी। साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। मगर आँखो में दर्द की बजाये खुशी थी। अपने भाई को उस आदमखोर से बचाने के खुशी।उसने भोला को देखा। वह पास में ही बेहोश पडा था।


मगर तभी दूर एक लालटेन सी जलती दीखाई दी। मदद चुकी थी। काका मदद ले कर पहुँचे थे।
दुर्गा ने शांति से अपनी आँखे बंद कर ली।

Rating - 73/100
 
*) - Orkut 

Sankalp Shrivastava

*Wrote this story 5-6 years ago during lovely Orkut era.

This is ajay’s story about an incidence that occurred in his life & the story goes on like this:-

At 12 AM one night last September, ajay sinha, a student of fine arts in Mumbai was going through his daily routine of checking his orkut account. Surfing through the profile of one of the community, he found an interesting profile, with an interesting tagline saying, “waiting for the death to come n take me away”. He quickly went ahead & had a check out of the profile. This profile was of certain girl located in bhopal. Ajay found her profile quite interesting & thus he forwarded a friend request to her for adding him as her friend. Ajay knew that 90% this girl won’t accept his friend request & thinking about that only he logged out of his account & went to sleep. Next morning it was usual routine happening for ajay, he went to his classes & after going through his work all day, at 10 pm, he logged in to his orkut account & much to his delight he found that his request was accepted by that girl. Along with accepting his request that girl had written some scraps in ajay’s scrapbook requesting him to disclose little bit more information about him. Ajay did that & after around 5 minutes of his reply; he got a scrap from that girl’s side, in which she thanked ajay for his reply. Both of them now started chatting with each on Google talk & that chat went around for more then 3 hours, after which ajay logged out & went to sleep. For whole of next week they kept chatting at night with each other & during that course a friendship was born between them.

This girl’s name was nikita sharma; she was a medical student & was working as a lab assistant to a not so renowned pathologist in bhopal, so it was natural that she didn’t earn much out of that job of her. So after a week of chatting, suddenly while chatting nikita asked for ajay’s cell no as she wanted to talk with him. Ajay gave his no to her & within a minute he received her call. After a minute of formal talks, nikita told ajay that she has very few friends & in those few also 90% are selfish & don’t care a damn thing about her. She said that in ajay for the first time she had found a friend who was ready to share her feelings. She said that she was a lonely soul & she had no one around her & that made her feel sick & because of that she was not able to sleep at night. Ajay tried to calm her by saying that she should not think like that as she now had ajay for company. They talked for 3 hours & during those 3 hours talking was done mostly by nikita. She told ajay about her problems, about her family. She lived with her divorced mother & her younger sister. Nikita also suffered from the problem of depression, which she had acquired after seeing her parents split. Situation worsened when her boyfriend also dumped her, this led to the series of suicide attempt, which were a failure only because nikita was found in time, each time she took pills to attempt suicide. This surely explained the weird tagline she had on her orkut profile.

After that night they chatted regularly & also talked to each other for hours. Every time they talked, nikita took a promise from ajay that when so ever they meet in person, she would get a big hug from ajay. Talks with ajay were working better for her then the medicine she took to get away from depression. But during her talks with ajay, nikita would constantly mention that some day she will get lucky & death will finally take her away, so one could never predict when her depression level will reach its sky limit. Finally, On March 5th it did.

Nikita left much earlier then she usually would from her work. After coming out of her lab, nikita arrived outside a hotel. She checked in to the hotel & after arriving at her room she sat down on the bed. Sitting on the bed, nikita took out a bottle of liquid & drank it in one go. Next, she took the sandwich she had in her bag & while taking her sandwich, she wrote down a letter to her mother saying sorry to her for committing suicide. After doing that she dialed ajay’s number. It was 5 PM in the evening; ajay was at home today & was working on his P.C, his phone rang up at that time, it was nikita calling. He pressed the answer button & as soon as he did it,

 nikita said:-

Nikita: Hello ajay, pata hai main kya kar rahi hun?

Ajay: Kya kar rahi ho?

Nikita: Apni maut ka intzaar.

Ajay: What?

Nikita: Haan yaar, maine abhi abhi ek aisa chemical pee liya hai, jo
Mujhe 2 ghante mein tadpa tadpa ke maar dalega.

Ajay: Nikita, kahan ho tum abhi?

Nikita: Hotel mein.

Ajay: Kaun se hotel mein?

Nikita: Woh to main tumhe nahi bataungi, bas itna jaan lo, ki main
Abhi apni city ke top most hotel ke top most floor par apni
Zindgi ki aakhiri kamayi kharch kar ke maut ka intzaar kar
Rahi hun.

Saying this she disconnected the call, ajay tried calling her back but she did not pick up the phone. Ajay called her mother & told her about what she said. Her mother started looking around for her. But ajay was not able to do anything to save her, back here in Mumbai, until an idea struck in his mind. He quickly logged into his orkut account & joined a community, which had people of Bhopal. Quickly after joining it, he started a post in which he wrote, “A girl in your city Bhopal is trying to commit suicide right now, but I am in mumbai. Reasons being relationship problems. Her name is nikita sharma. She has just checked into a top most hotel of your city & is in the top most floor of the hotel. She has taken a poisonous liquid which would kill her in about 1 hour 30 minutes. Bhopal walon please help us in finding her, aakhir woh bhi hum mein se ek hi hai, yani ki bhopali hai. Please help us in finding her”.

First few reply to that topic asked him to stop joking, but when he told them that it was for real & was not a joke, hundreds of reply started pouring in. People of this community started referring it to others. But still there was no clue about where she could be, as there were at least 10-15 top hotels in Bhopal. At that moment entered sumit, he saw the post & replies that were given to it, from that he had got fair idea about what was going on here.

He replied to this post by asking ajay to relinquish more information about nikita, like where was she studying or where was she working. Ajay replied by saying that she worked as an assistant to a pathologist in certain place called New Market. Looking at this reply sumit assumed that nikita would have left for the hotel after her work only & around the area of new market nearest top quality hotel was, Hotel Palash. Sumit dialed the hotel’s number & a man answered. Sumit knew that hotels don’t leak out the information about their guests easily, so he made a reservation,

“Could you give me a room on Sunday”?

Manager said yes & started giving details about it, at that moment sumit asked, “A friend of mine, nikita sharma, was going to check into your hotel. Is she there?”

Answer was yes. Sumit could hardly believe his luck, he said urgently. “Woh ladki suicide karna chahti hai. Usne already poison pee rakha hai, please use jaldi se jakar bacho.” Hotel manager quickly rushed in with security persons towards the nikita’s room. He banged on the door. No answer, then he used his master key to open the door. Nikita was lying there, totally unconscious. They picked her up & quickly rushed up towards the doctor.

Sumit now posted a fresh message saying, “Ladki mil gayi hai. Palash hotel ke ek room mein behosh halat mein thi. Doctor ke paas le gaye hain use, let’s pray for her safety now”. Ajay was delighted at seeing this post & quickly called nikita’s mother, to tell her about nikita. After a day in emergency, nikita recovered well & ajay, with a broad smile on his face, logged in to his orkut account, to post the last message in his save nikita post saying, “Thanks to you all, nikita ab khatre se bhar hai. Uski poori family ki taraf se thanks to you all, Nikita would be pleased to know that now she has so many friends now present in Bhopal, Thanks, once again”.

After a month of this incidence, ajay finally met nikita & Jab they met; nikita told him what he owed her big time. Ajay knew it, therefore he gave nikita a big tight hug, in response to which nikita had only these words to say, “Thank You for everything you did for me”.
 
Rating - 67/100

Judge's Comment - Maine dono hi story padhi dono hi interesting lagi....

Ek Sankalp ji ki story ORKUT FRIENDSHIP se novel banane ka scope hai to Prashant vasava ki story DURGA se ek graphic novel banane ka scope hai, dono writer ne koshish achchi ki thi par dono ke stories ki ekdusre se compare kare to DURGA ka standard thoda aur upar laga muje usme writer ne reality ke kaafi kareeb dialogues aur story likhi hai....... muje dono hi interesting lagi... dono me kahi par bhi koi kami nahi lagi... kuch kamiya tha par unko ignore kiya jaa sakta hai....
 
Result - Mr. Prashant Vasava wins the match and enters Round 3. Mr. Sankalp Shrivastava is eliminated from the tournament.
 
Judge - Mr. Fenil Sherdiwala (Author, Publisher & Businessman)

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