Tuesday, June 11, 2013

Round 1 (Match # 10) - Shweta Kumar vs. Ravendra Singh

 *) - The Rich Indian Culture

(# 10 - Shweta Kumar)

Indian culture has survived because in every generation the best among us have lived by certain fundamental values. We see many examples of this in our history. Starting from the rishis in the Vedic period, we see several divine personalities like Mahavira, Buddha, Ashoka, Shankara, Madhvacharya, Krishnadevaraya, Akbar, Basava, Guru Govind Singh, Gandhi etc. who have spread these values through their preachings and examples. Our religious tolerance and love for peace have been the natural outcomes of these values.
The legacies of Indian Culture based on these values upheld generation after generation in all aspects of human endeavors is so enormous that any attempt to list them all would certainly be futile.
The first value which underlies our culture is the faith in the Moral and Spiritual order. The Vedic sages called it Rita but later it was called Dharma. Age after age refinements were made in this concept but the faith has persisted in our people.

So the key points to be noted about indian culture are The tradition of tolerance adding to the richness and variety of Indian life. The sense of synthesis as reflected in racial harmony, the primary institutions of the village and family, architecture, sculpture, music and painting, modes of worship, faith in democratic institutions etc. this is a bit from a point of view hindu mythology i am following but the thing is basic things remains the same in whatever form of human society we live. as a result of certain attributes indian society we are facing some challenges which can only be tackled if the ideal system is established with harsh rules and regulations.

 Judge Rating - 25/100

 *) - भ्रष्टाचार* कारण और निवारण (*Corruption* reason and solution )

(# 55 - Ravendra Singh)


 वर्तमान परिदृश्य मेँ शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा,जहाँ पर भ्रष्टाचार
ने अपनी पैठ नही बनाई हुई है।
अगर हम अपने आस-पास देखे तो प्रत्येक दिन हमारा सामना किसी ना किसी रुप
मे भ्रष्टाचार से होता ही रहता है।
छोटे से छोटे काम को करने के लिए सुविधा शुल्क यानी रिश्वत की माँग की जाती है।
सरकारी विभागो मेँ यह बुराई इतनी बुरी तरह फैल चुकी है कि शायद ही कोई
विभाग इससे अछुता हो।

न्यूज चैनल्स और न्यूज पेपर मे अक्सर किसी न किसी घोटाले के बारे मेँ
सुनने को मिलता रहता है।

दरअसल भ्रष्टाचार रुपी इस बुराई ने समाज के सभी वर्गो मेँ अपनी जड़े इतनी
बुरी तरह जमा चुकी है, कि इस बुराई का समूल विनाश कर पाना मुमकिन प्रतीक
नहीँ होता।

वर्तमान समय मे जहाँ भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक सख्त कानून की सख्त
आवश्यकता है,वही हम सबको ये समझना आवश्यक चाहिए कि यह बुराई मात्र एक
सख्त कानून से पूर्ण रुप से नष्ट होने वाली नही है।

क्योँकि मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार का मुख्य केन्द्र बिन्दु समाज मेँ
तेजी से नष्ट हो रहेँ नैतिक-मूल्य हैँ।

जब भी कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार करते हए,घोटाला करते हुए या रिश्वत लेते हए
पकड़ा जाता है तो हम यही सोचते हैँ कि यह कोई भ्रष्ट राजनेता,अधिकारी या
कर्मचारी है,जबकि हम इस सिक्के का दूसरा पहलू नजरअंदाज कर देतेँ है कि हर
भ्रष्ट राजनेता,अधिकारी या कर्मचारी भी तो इसी समाज की देन हैँ।

कहने का तात्पर्य है कि,भ्रष्टाचार किसी विभाग या क्षेत्र मेँ नहीँ बल्कि
हमारे सम्पूर्ण समाज मेँ ही फैला हुआ है,जिस का मूल कारण हमारे समाज से
नैतिक-मूल्योँ के पतन का होना है।

अपने आस-पास देखने पर महसूस होता है कि वर्तमान समय मेँ हर किसी को
अत्याधिक धन की आवश्यकता है,जो कि एक हद तक सही भी लगती है।
क्योँकि इस भयंकर महंगाई के समय मे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आजीविका तथा
सुख-सुविधाओँ कि पूर्ति के लिए अधिक पैसो कि ही आवश्यकता है।

यही अत्याधिक पैसो की आवश्यकता और लालच के कारण व्यक्ति के अन्दर जन्म
होता है भ्रष्टाचार का,जो कि नैतिक मूल्योँ के अभाव मेँ और भी अधिक तेजी
से फलता फूलता है।

और यहीँ से व्यक्ति मे भ्रष्टाचार नामक बुराई का सृजन होता है।

आज कल हर माता-पिता यही चाहते है कि उनके बच्चे बड़े होकर कोई ऐसा कैरियर
चुने जिसमे सम्मान के साथ-साथ उन्हे ज्यादा पैसे भी मिले।
वैसे माता-पिता का ऐसा सोचना ठीक भी है,परन्तु यही अत्याधिक पैसे कमाने
की लालसा अन्जाने मे कब उनके बच्चोँ को भ्रष्टाचार की तरफ आकर्षित कर
देती है,ये वोँ नही समझ पातेँ।

क्योँकि कम समय मे अत्याधिक पैसे कमाने का एक ही रास्ता होता है-
भ्रष्टाचार।

वैसे भी लालच ही भ्रष्टाचार की पहली सीढ़ी है,जिससे हम अपने बच्चोँ को
अच्छे नैतिक-मूल्य देकर ही बचा सकते हैँ।
अन्त मेँ यही कहना चाहूँगा कि हमेँ भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने के लिए
जितनी एक सख्त कानून की आवश्यकता है,उतनी ही अपने समाज मे नैतिक-मूल्योँ
का होना भी आवश्यक है।

ताकि नई पीढ़ी इस पैसोँ कि चकाचौँध भरी दुनिया मेँ भी स्वंय को इस
भ्रष्टाचार रुपी बुराई से बचा सके,जो कि भारत के चहुँमुखी विकास मेँ सबसे
बड़ी बाधा बनी हुई है।

  Judge Rating - 28/100

Judge Remarks - "Both articles use impressive terminology and made few valid points but clearly lack content."

 Result - Ravendra Singh is the winner of the match by 3 points and moves on to round of 32. Shweta kumar goes to Parallel league.

Judge - Mr. Mayank Sharma (Wrote for Raj Comics and few other publications, active since 2002)

3 comments:

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  2. nice written ,keep it up ,look for other entries and level up your skills. :-)

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  3. Nice stuff by both persons. I also wanted to participate but very busy here. This kind of games prove good entertainment in summer, in addition they also nourish the individual's talent. Good Luck to all :)

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