कातिल दिल
रात का सन्नाटा, सुनसान इलाका प्यार करने वालों के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती! ऐसी ही एक जगह है चंदनगढ़ का पुराना किला जो दिन में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होता है और साँझ ढलते ही प्रेमी जोड़ों का जमघट बन जाता है! ऐसी ही एक जोड़ी है तरुण और तन्वी की!
"हम कब तक ऐसे छुप कर मिलेंगे तरुण? 3 हफ्ते बाद मेरी शादी है!"
" बस 2-3 दिन और तन्वी फिर हम आजाद होंगे!"
"क्या सच में तरुण!"
"बिल्कुल सच! मगर शादी के बाद कुछ दिन हमें बिना किसी आशियाना के गुजारना होगा!"
" तो क्या हुआ तुम्हारा दिल तो है, मैं तो वहां भी अपना आशियाना बना लूंगी!"
इतना कहकर तन्वी तरुण से लिपट गई पर तभी एक खिलखिलाहट ने दोनों को अलग हटने पर मजबूर कर दिया! दोनों हड़बड़ा कर इधर-उधर देखने लगे पर आसपास कोई भी नहीं था! खिलखिलाहट के स्वर अब भी आ रहे थे! इस अहसास ने दोनों की सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी थी! तभी डरते-डरते तरुण ने पूछा!
"क...कौन है? सामने आओ!"
"हाहाहा! मैं सामने आ गया तो तुम लाश में बदल जाओगे तरुण क्योंकि मैं दिल हूँ तुम्हारा दिल और ये तुम्हारे दिल की आवाज है!
"क्या बकवास कर रहे हो!"
बदहवास तरुण ने महसूस किया कि आवाज उसके अंदर से आ रही है! भयभीत तन्वी ने भी ये बात नोटिस कर ली थी!
" ये आवाज तो तुम्हारे अंदर से आ रही है तरुण! मुझे बहुत डर लग रहा है! मैं जा रही हूँ!"
तन्वी पलटी मगर एक तेज चीख ने उसके कदमों में ब्रेक लगा दिया! वो चीख तरुण की थी! वो अपने सीने को पकड़े हुए नीचे गिरा और बुरी तरह तड़पने लगा!
" तरुण! ये क्या हो रहा है तुम्हें!"
" मेरे सीने में तेज दर्द हो रहा है तन्वी! ऐसा लग रहा है जैसे मेरा दिल मेरे सीने से बाहर आना चाहता है!"
तरुण के सीने में खिंचाव की वजह से एक दरार उभर आई थी! तन्वी की आँखे डर और स्तब्धता के कारण फ़टी हुई थी! खून से सना तरुण का दिल उस दरार से धीरे-धीरे बाहर आ रहा था! तरुण के शरीर में जीवन का कोई चिन्ह बाकी न था! इससे ज्यादा बर्दाश्त करने की क्षमता तन्वी में नहीं थी! वो उठ कर भागी! पर अचानक कोई चीज उछल कर उसके सामने आ गई! वो तरुण का दिल था!
"कहाँ भाग रही हो तन्वी? तुम तो कहती थी तुम्हें तरुण के दिल में अपना आशियाना बनाना है! तो आओ बनाओ मुझे अपना आशियाना!"
"नहीं! प्लीज मुझे जाने दो! मैं मरना नहीं चाहती!"
" मरना कौन चाहता है पगली! राजीव भी मरना नहीं चाहता था! पर उसे मार दिया गया!"
"राजीव! तुम राजीव हो?"
"हाँ वही राजीव जो तुमसे प्यार करता था! तुम्हारा दिल जीतने के लिए उटपटांग हरकत करता था! मगर तुम्हें मेरी हरकत इतनी इरिटेट कर गई कि मार ही डाला मुझे!"
" आई एम सॉरी राजीव! मैं तुमसे नहीं तरुण से प्यार करती थी! और तुम जबरदस्ती मेरे पीछे पड़े थे! मैं तुम्हारी हरकतों से तंग आ गई थी इसलिए..."
"इसलिए मुझे रास्ते से ही हटा दिया! तुमने इस दिल का कत्ल किया अब ये दिल तुम्हारा कत्ल करेगा!"
"नहीं प्लीज राजीव ऐसा मत करो! मुझे मत मारो!"
दिल अपना आकार बढ़ाता चला गया। इतना बड़ा कि एक पूरा इंसान उसके अंदर समा सकता था। तन्वी ने भागना चाहा मगर दिल उसके रास्ते में आ गया! तन्वी का शरीर तरुण के दिल से टकराया और उसमें जज्ब होता चला गया! चीख वो अब भी रही थी पर अब उसकी आवाज बाहर नहीं आ पा रही थी! उसका पूरा शरीर खून के तालाब में लाल हो चुका था! थोड़ी देर तक वो छटपटाती रही फिर निर्जीव शरीर दिल से बाहर गिरा! फिर वो दिल एक मानव आकृति में बदला और गायब होता चला गया! राजीव का बदला पूरा हो चुका था!
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Rating - 131/200
Judges - Mayank Sharma, Mohit Trendster and Pankaj V. (Shaan)
Total Rating ( 3 Rounds) - 383/600 (63.83%)
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