Friday, January 29, 2016

Round 3 - Team # 16 (Akash & Ayush) #ftc1516

आई एम डेड ! 


दृश्य १ 
एक लड़की अपने कमरे में बंद होकर चहलकदमी कर रही थी । अजीब से उलझे बाल, बड़ी-बड़ी आँखें और चेहरा नाराजगी में लटका हुआ ।  शायद अपने अकेलेपन से ही वो नाराज होकर ...ख्यालों में डूबी ,  चलती हुई  पहुँच गयी  दीवार के पास... पर ,  वो वहाँ भी नहीं रुकी !  बिना किसी परेशानी के वो दीवार  पर चलते हुए छत की सीलिंग से चिपक कर  आगे बढ़ने लगी ।

अपने ख्यालों  में खोई उस उदास  लड़की का ध्यान अचानक से उसी कमरे के दरवाजे के  खुलने से आई आवाज की ओर जाता है । 
" आईये सर आईये, देखिये जिस तरह के घर की आप डिमांड कर रहे हैं ...ये घर उस पर पूरी तरह खड़ा उतरता है ।.........."
जी ...बन्दे का नाम गिरिराज है और ये महाशय पेशे से ब्रोकर हैं जो नए और मनचाही घर की तलाश में भटकते लोगों को लुटते ( मेरा मतलब घर दिलाते हैं ) हैं !
गिरिराज ( ग्राहक को घर पूरी तरह दिखलाने के बाद ) – " तो ...क्या आपको ये जगह पसंद आई ? "
मोहित ( थोड़ी देर सोच कर ) – " जी ...घर तो सच में मेरे पसंद के मुताबिक है । " 
जी ....बन्दे का नाम तो आप पढ़ ही चुके हैं , फिर भी बता देते  हैं , इनका नाम मोहित है पर ,  ये शर्मा नहीं वर्मा हैं ! पेशे से एक ब्लोगिस्ट हैं... माने , ब्लॉग चलाते हैं और ब्लॉग इतना चर्चित है की इनकी जिन्दगी भी इसी ब्लॉग से हुई कमाई से आराम से कट रही है ।   महोदय , दुनिया वालों को  अपने ब्लॉग पर भुत प्रेत  के सच्चे-मुच्चे किस्से बताते हैं । 
हीहीही ...अब और कितनी तारीफ करें बाकी आप खुद समझ लें, आखिरी  राउंड है और हम एंट्री देने में  भी देर हो चुके हैं इसीलिए , कहानी में ही इनकी इतनी तारीफ कर रहे हैं  :p ,,,,,, गलती से पॉइंट ज्यादा मिल जाएँ :p इस आशा में ...हीहीही 
दृश्य 2

मोहित और गिरिराज आपस में बात कर रहे थे पर ,  उन्हें इस बात की जरा भी भनक नहीं थी कि  किसी का सर ठीक इन दोनों के  चेहरे के सामने लटका इन्हें घुर रहा था । 
मोहित के डिमांड के मुताबिक गिरिराज ने ऐसी जगह खोजी थी जो आबादी से थोड़ी दूर और शांत थी जहां पास  - पड़ोस में गिने चुने लोग रहते थे । अपने काम को लेकर मोहित एक शांत माहौल चाहता था जोकि उसे इस जगह से पूरी तरह मिलने वाला था ।
दोनों ने डील फाइनल की, चाहे गिरिराज ने जरूरत से ज्यादा रकम ऐंठी हो पर  , मोहित इस डील से खुश था । 
गिरिराज – "  आपके साथ बिज़नेस कर खुशी हुई ...मिस्टर मोहित । "
मोहित – " जी ...मुझे भी आपके साथ डील करके खुशी हुई.... मिस्टर गिरिराज । " 
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मुझे भी खुशी हुई !  ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अचानक से दोनों के कानों को एक तीसरे शख्स  की आवाज सुनाई दी और दोनों ही डर के मारे उछल पड़े ।     
दृश्य 3

मोहित ( घबराहट में ) –  " य.... ये किसकी आवाज थी ? " 
गिरिराज ( हकलाते हुए ) – " म ....मुझे भी नहीं पता सर । " 
मोहित –  " क्या मतलब ?  " 
गिरिराज ( अपने डर को दूर भगाते हुए ) – " मतलब....मतलब....सर घर काफी दिनों से खुला नहीं था ना, अब लम्बे वक्त से कोई घर बंद हो तो आवाजें तो गूंजेगी ही, ये हममें  से ही किसी की आवाज होगी और क्या । " 
छत से लटकी हुयी लड़की जो की थोड़ा सा  घबरा गयी थी....यह सुन उसने   चैन की सांस ली ( बच गयी, वरना डर के मारे ये लौंडा गृहप्रवेश से पहले ही गृहत्याग देता !  )
मोहित को ना  जाने क्यों गिरिराज की बात अटपटी लगी पर  , फिर भी उसने इस बात को  ज्यादा तूल नहीं दिया ।  दोनों साथ में , घर से बाहर चले गये इस डील के साथ कि गिरिराज अगले दिन घर को अच्छे से  साफ करवा देगा ताकि जब मोहित रात तक अपने सामान के साथ आये तो , उसे कोई दिक्कत ना हो । 
उनके जाने के बाद छत से लटकी लड़की धीमे कदमों  से आगे बढ़ते हुए नीचे खिड़की के पास आती है और दूर जाते मोहित को देख अचानक से हँसते  हुए अपने कई सालों से ब्रश न किये दाँत दिखा देती है हीहीहीही ! 
दृश्य ४

जैसा की तय हुआ था । घर की साफ़  - सफाई के बाद , शाम को अँधेरा होने से ठीक कुछ वक्त पहले मोहित अपने नये घर में आ चुका होता है । 
वो लड़की जो बेसब्री से मोहित यानि की अपने शिकार के आने का इन्तजार कर रही थी.... मोहित के आने के बाद ,  उसके अपने साथ लाये चीज़ों  से घर को व्यवस्थित करते समय ... हर वक्त , उसके आगे - पीछे ही घुमती रहती है । 
हर गुजरते पल के साथ उस लड़की के चेहरे पर एक हैवानी हँसी फैलती जा रही थी । 
घर को व्यवस्थित कर मोहित रात के खाने का इंतजाम करने चला गया ।  शहर से दूर होने के कारण उसे आस  - पास कोई होटल या खाना खाने की जगह नहीं मिली तो वो शहर ही चला गया । एक होटल में पहुँच  उसने अपने लिए कुछ खाने का आर्डर दिया और उसी वक्त उसकी झड़प कुछ शराबियों  से हुई जो होटल में आते ही , कैश काउंटर पर उधम मचा रहे थे ।
विवाद बढ़ते-बढ़ते झड़प में बदल गयी और इसी झगड़े में मोहित के सर पर एक बोतल उन शराबियों  ने फोड़ दिया ।  होटल स्टाफ ने जल्दी से झगड़े को काबू कर मोहित को हॉस्पिटल पहुंचा दिया और पुलिस के पचड़े में पड़ने के डर से  उसे वहीं छोड़ भाग गया । 
दृश्य ५

सर में उठते दर्द से मोहित बहुत परेशान था और घर पहुँच  कर बड़ी मुश्किल  से वो अपने कमरे का ताला खोल पाया था । अन्दर आते ही ,  वो बिस्तर पर लुढ़क कर  नींद की आगोश में खो गया । 
जब उसकी आँखें खुली तो उसने अपनी छाती पर एक अजनबी लड़की को बैठा पाया ।  वो लड़की लगातार उसे घूरे जा रही थी ...
अचानक......
उसने “क्या आप क्लोजप करते हैं! ’ का प्रचार किया :p और अपने चमकते हुए दो ड्रैक्युला  के खून चूसने वाले नुकीले दांत दिखा दिये । 
डर से , 
मोहित की हालत खराब हो गयी थी । उसके बदन में एक अजीब-सी सिहरन दौड़ लगा रही थी, वो घबराहट में अपने खुद -  के धड़कते दिल की तेज हुई आवाज को भी सुन सकता था ।  भूतों  के किस्से तो कई सुने और सुनाये थे उसने पर , ....पहली बार , आज जब उसका सामना खुद एक महिला :p भुत से हुआ तो उसकी बैंड बज गयी । 
क्लोजप का ऐड तो वो लड़की कर चुकी थी, अबकी बार “क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है ! ” का ऐड करते हुए वो मोहित के करीब आ गयी और उसके गरदन में अपने लम्बे दांत घुसेड़ने की कोशिश करने लगी  । 
उसका जबड़ा एक सौ अस्सी डिग्री के एंगल पर खुला और डर से बुत बने मोहित के गर्दन में जैसे ही घुसेड़ा गया वैसे ही , दोनों दांत और जबड़े आपस में टन से टकराए लेकिन मोहित की गर्दन में घुस नहीं पाए ।  उस भूतनी ने दोबारा कोशिश की , इस बार ....उसका जबड़ा नब्बे डिग्री के एंगल पर खुला और खटाक से बंद हुआ पर फिर भी मोहित के गर्दन में उसके दांत नहीं घुसे । 
आश्चर्य से भूतनी की आँखें और बड़ी हो गयी ................ !!!!
दृश्य ६ 
मोहित पहले से ही बहुत डरा हुआ था और डर के इस माहौल में उस भूतनी की बड़ी होती आँखें  देख उसका दिल दहल गया और उसने हिम्मत करके  एक जोर का चांटा खींच  कर भूतनी के गाल पर दे मारा । 
चांटे की गूंज किसी हॉरर फिल्म में गेट खुलने पर स्लो मोशन में आती आवाज की तरह काफी देर तक सुनाई देती रही । 
उस चांटे से भूतनी झटका खा कर बेड से नीचे  गिर पड़ी और अब,  उसके आश्चर्य का पारा बुखार लगने के बाद एक सौ पांच डिग्री से भी ऊपर चला गया । 
भूतनी ( अपने गाल को सहलाते हुए ) - " कैसे ...कैसे, आखिर कैसे एक इंसान मुझे छू पाया .....कैसे तुमने मुझे चांटा मारा?????????????????? "
मोहित ( खुद भौचक्का होते हुए ) – " क्यूंकि ,  मैं ... मैं ......म...म....मर चूका हूँ । "
अचानक से ही , मोहित के नज़रों  के सामने वो बातें घूम  गयी जिसे शायद वो भूल गया था ।  होटल में शराबियों  के हाथों सर पर बोतल फूटने के बाद उसे हॉस्पिटल नहीं ले जाया गया था ।  होटल स्टाफ उसे हॉस्पिटल के गेट के पास ही पटक गये थे क्यूंकि हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही सर पर चोट लगने के कारण उसकी मौत हो चुकी थी । 
यादों  से बाहर आते ही ,  मोहित का ध्यान खुद पर गया....अब उसके सर पर कोई पट्टी नहीं थी बल्कि सर पर लगे चोट से खून टपक रहा था । 
सामने खड़ी भूतनी पर उसका ध्यान गया और वो हँसा । 
भूतनी ने भी उसे देख स्माइल दी । 
मोहित –  " आई  एम डेड । " 
इतना कहते ही मोहित का चेहरा किसी आम भुत की तरह विकृत हो गया । मोहित और भूतनी दोनों खिलखिला कर हँस पड़े । 
समाप्त

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Rating - 130/200

Judges - Mayank Sharma, Pankaj V. (Shaan) and Mohit Trendster

Total Rating (3 Rounds) - 349/600 (58.16%)

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